केन्द्र सरकार ने उद्योगों से चीनी आयातित सामानों की सूची मांगी, मुहिम में राज्यों को साथ लेने की योजना

नई दिल्ली
चीन के विरुद्ध आर्थिक तालाबन्दी को और कारगर बनाने के लिए सरकार ने उद्योग जगत से चीनी आयातित सामानों की सूची मांगी है। सरकारी सूत्रों ने इस बात की जानकारी देते हुए बताया कि चीन से आयात होने वाले गैर-जरूरी सामान की पहचान करने और उसकी जगह देसी सामान को प्रोत्साहन करने के लिए यह कदम उठाया गया है।

सूत्रों ने बताया कि चीनी सामान की निर्भरता कम करने के लिए उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग (डीपीआईआईटी) ने ऑटोमोबाइल, फार्मास्यूटिकल्स, खिलौने, प्लास्टिक, फर्नीचर आदि से जुड़े व्यापर संघ के साथ बैठक की है। डीपीआईआईटी ने उद्योग संघों से इन क्षेत्रों में आयात होने वाली चीनी सामानों की विस्तृत सूची सोमवार तक देने को कहा है। एक सूत्र ने बताया कि सरकारी कंपनियो में चीनी सामानों और ठेके पर पाबंदी लगाने के बाद अब सरकार ने निजी कंपनियों की ओर रुख किया है। सरकार की तैयारी अब निजी कंपनियों में भी चीनी सामानों की बिक्री रोकने की है।

केंद्र सरकार की चीनी उत्पादों के खिलाफ मुहिम तेज करने में राज्य सरकारों को भी साथ लेने की योजना है। केंद्र सरकार जल्द ही राज्यों को अपने खरीद अनुबंधों में संशोधन करने के लिए कह सकता है। नए अनुबंध में यह सुनिश्चित करने की कोशिश होगी कि स्थानीय आपूर्तिकर्ताओं को तरजीह मिले और चीनी कंपनियों को प्रवेश न मिले। केंद्र सरकार ने हाल ही में 200 करोड़ रुपये तक के ठेके में सिर्फ देसी कंपनियों के लिए आरक्षित कर दिया है। केंद्र की योजना है कि राज्य सरकारें भी अपनी खरीद में इस नियम को अपनाएं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी से आयात होने वाले सामानों में ऑटो कम्पोनेंट 20 फीसदी, इलेक्ट्रॉनिक सामान 70 फीसदी तक, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का 45 फीसदी , एपीआई का 70 फीसदी और चमड़े के सामान में 40 फीसदी हिस्सेदारी है। इनके साथ खिलौने, प्लास्टिक, फर्नीचर आदि सामानों में बड़ी हिस्सेदारी है। विशेषज्ञों का कहना है कि इन पर रोक लगाने से घरेलू उद्योगों को तत्काल राहत मिलेगी। इससे देश में रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

देश को आत्मनिर्भर बनाने और चीनी सामानों पर निर्भरता खत्म को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए लंबी रणनीति बनानी होगी। एकदम से चीनी उत्पादों का बहिष्कार संभव नहीं है। यह हमारे देश और हमारी अर्थव्यवस्था के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।  भारत को इसके लिए दीर्घकालिक रणनीति को बनाना होगा। ऐसा कर चीनी सामानों का आयात भी कम होगा और देसी सामानों की मांग भी बढ़ेगी।

भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी 14 फीसदी है। अप्रैल 2019 से फरवरी 2020 के बीच चीन से भारत के लिए 62.4 अरख डॉलर ( 4.7 लाख करोड़ रुपये) की वस्तुओं का आयात हुआ है। वहीं, भारत से चीन के लिए 15.5 बिलियन डॉलर (1.1 लाख करोड़ रुपये) की वस्तुओं का निर्यात किया।

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