केन्द्र ने 8 लाख टन गेहूं लेने से किया इंकार, कमलनाथ सरकार को 15 सौ करोड़ की चपत
भोपाल
मोदी सरकार ने कमलनाथ सरकार को एक बड़ा झटका दिया है। केन्द्र ने राज्य सरकार से साफ किया है कि वे केवल 66 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही उठाएंगे।
जबकि राज्य सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य पर 74 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीदा है। ऐसे में आठ लाख टन गेहूं केन्द्र के नहीं लेने से राज्य सरकार को सीधे-सीधे करीब 15 सौ करोड़ रुपए से अधिक की चपत लग रही है।
इस मामले में मुख्य सचिव से लेकर खाद्य विभाग के अफसरों ने केन्द्र से बातचीत और पत्राचार किया है, लेकिन केन्द्र अपने फैसले पर अड़ा हुआ है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब मुख्यमंत्री कमलनाथ खुद सीधे केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर से चर्चा करेंगे।
प्रदेश सरकार ने गेहूं खरीदी से पहले केन्द्र से 80 लाख टन गेहूं खरीदी के संबंध में अनुमति मांगी थी। इस दौरान केन्द्र सरकार सिर्फ पीडीएस में बांटने के लिए 23 लाख टन समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदने की अनुमति दी थी।
इस पर राज्य सरकार ने तर्क दिया कि अब तक मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर खरीदे गए गेहूं को केन्द्र सरकार उठाती रही है। उसमें पीडीएस में बंटने वाले गेहूं की शर्त नहीं होती थी। लोकसभा चुनाव के चलते केन्द्र मौखिक रुप से राज्य को सहमति दी थी कि वह किसानों से समर्थन मूल्य गेंहू खरीदी ले, केन्द्र सरकार पूरा गेहूं उठा लेगा।
चुनाव के बाद केन्द्र ने 66 लाख गेहूं उठाने के लिए पत्र लिखा। इससे राज्य का पूरा गणित गड़बड़ा गया। राज्य सरकार ने किसानों से 2000 रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी की थी। इसमें केन्द्र के 1840 रूपए समर्थन मूल्य और राज्य सरकार के 160 रुपए बोनस के शामिल हैं।
राज्य सरकार ने ये लिखा पत्र
राज्य सरकार ने हाल ही में केन्द्र को पत्र लिखकर कहा है कि पिछले वर्ष शिवराज सरकार में 75 लाख टन गेहूं खरीदी की अनुमति दी थी, इसके पहले भी इतनी ही मात्रा में गेहूं खरीदी की अनुमतियां जारी की गई हैं।
प्रदेश में सिंचाई और बोवनी का रकबा बढऩे से कृषि उत्पादन में वृद्धि हुई है, इससे किसानों स्थिति में भी फर्क आया है और जीडीपी भी बढ़ा है। ऐसे में किसानों से समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी नहीं की जाती है तो उन्हें उनके उत्पाद का उचित मूल्य नहीं मिलेगा।
ऐसे में पुरानी स्थिति को कायम रखते हुए समर्थन मूल्य पर खरीदा गया 74 लाख मीट्रिक टन गेहूं पूरा उठाया जाए। इससे प्रदेश में आने वाले फसलों के लिए भंडारण स्थलों को भी खाली किया जा सके।
समर्थन मूल्य पर किसानों से खरीदे गए 74 लाख टन गेहूं के संबंध में केन्द्र से चर्चा जारी है। इसके लिए विभाग ने प्रजेंटेशन भी तैयार किया है। उच्च स्तर पर भी इस मामले में चर्चा हो रही है। 8 लाख मीट्रिक टन गेहूं न उठाने से सरकार पर सीधे 1500 करोड़ का भार आ रहा है।
– करमवीर शर्मा, कमिश्नर खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम