केंद्र सरकार ने स्वीकारा OIC का न्योता, कांग्रेस और ओवैसी ने उठाए सवाल

नई दिल्ली        
पुलवामा हमले के बाद भारत को कूटनीतिक स्तर पर बड़ी सफलता मिली है. मुस्लिम देशों के शक्तिशाली संगठन (OIC) ने अपने 46वां सत्र में शामिल होने के लिए भारत को न्योता भेजा है. इस सत्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज उद्घाटन भाषण देंगी. भारत को इस्लामी सहयोग संगठन (OIC) के विदेश मंत्रियों के सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में 'गेस्ट ऑफ ऑनर' के तौर पर आमंत्रित किया गया है और सुषमा स्वराज विशिष्ट अतिथि के तौर पर 1 से 2 मार्च तक अबू धाबी में आयोजित सम्मेलन में भाग लेंगी.

हालांकि, विपक्ष ने न्योता कबूल करने पर सवाल उठाए हैं. कांग्रेस ने शनिवार को कहा कि इस्लामी सहयोग संगठन के उद्घाटन सत्र में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मिले आमंत्रण पर सरकार की खुशी से वह हैरान है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने कहा कि OIC से भारत को न्योता खुशी की नहीं हैरानी की बात है. कश्मीर मुद्दे पर हमेशा OIC ने पाकिस्तान का साथ दिया है.

शर्मा ने कहा, ‘मैं हैरान हूं कि सरकार यूएई में ओआईसी के सम्मेलन में संबोधन के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को मिले आमंत्रण का जश्न मना रही है. गलत मौके पर उत्साह दिखाया जा रहा है और यह भारत में जनता की राय को भ्रमित करने की बेकार की कवायद है.’

ओआईसी मुस्लिम बहुल देशों का प्रभावशाली संगठन है. शर्मा ने कहा कि अतीत में भारत ने संबंधों को लेकर OIC के साथ हमेशा कड़ा रुख अपनाया है. उन्होंने कहा, ‘भारत ने पर्यवेक्षक दर्जा देने के ओआईसी के प्रस्ताव को खारिज किया है और स्पष्ट किया है कि उसकी मुस्लिम आबादी को देखते हुए ओआईसी को भारत को पूर्ण सदस्य का दर्जा देना चाहिए.’

शर्मा ने कहा, ‘हम प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री को सलाह देंगे कि भारत की पहले से बनी स्थिति का सम्मान करें और जब भारत को पूर्ण सदस्य बनाया जाए, तभी ओआईसी के सम्मेलन में जाएं.’ आनंद शर्मा के अलावा एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इसका विरोध किया है. उन्होंने कहा कि भारत के अभिन्न अंग कश्मीर को लाइन ऑफ कंट्रोल बताने वाले संगठन OIC की बैठक में विदेश मंत्री का जाना शर्मनाक और दुर्भाग्यपूर्ण है.

हालांकि, तमाम विरोधों को बावजूद विदेश मंत्रालय ने इस आमंत्रण का स्वागत किया है. बता दें कि भारत को पहली बार विशिष्ट अतिथि के तौर पर ओआईसी के सम्मेलन में बुलाया गया है. विदेश मंत्रालय ने इस न्योते को भारत में 18. 5 करोड़ मुसलमानों की मौजूदगी और इस्लामी जगत में भारत के योगदान को मान्यता देने वाला एक स्वागत योग्य कदम बताया है. ओआईसी लंबे समय से पाकिस्तान का समर्थक रहा है और कश्मीर मुद्दे पर अक्सर ही पाकिस्तान का पक्ष में आवाज बुलंद करते नजर आया है.

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