किसानों को कैश देने के लिए 70 हजार करोड़ रुपये का प्लान बना रही मोदी सरकार

नई दिल्ली 
मोदी सरकार किसानों का वित्तीय बोझ कम करने के लिए सब्सिडी की जगह डायरेक्ट कैश ट्रांसफर पर विचार कर ही है। इस मामले से जुड़े कुछ लोगों के हवाले से न्यूज एजेंसी ब्लूमबर्ग ने यह खबर दी है। पहचान गुप्त रखने की अपील करते हुए इस मामले से जुड़े सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार उर्वरक खर्च सहित सभी कृषि सब्सिडी को मिलाने पर विचार कर ही है। योजना को पूरी तरह लागू करने के बाद 70 हजार करोड़ रुपये सालाना अतिरिक्त खर्च हो सकता है। 31 मार्च को समाप्त हुए वित्त वर्ष में अरुण जेटली ने 70,100 करोड़ रुपये कृषि सब्सिडी की घोषणा की थी। उत्तर भारत के तीन अहम राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की हार में किसानों की नाराजगी को भी वजह बताया जा रहा है। सरकार लोकसभा चुनाव से पहले किसानों की नाराजगी को दूर करके अपने पाले में लाना चाहती है। हालांकि, वित्तीय घाटे के लक्ष्य को पार कर जाने की वजह से इस साल सरकार के पास खर्च के लिए अधिक रकम नहीं है। 

कहां से आएगा पैसा? 
निवेशक यह जानने को उत्सुक हैं कि अतिरिक्त फंड कहां से आएगा। हालांकि, स्मॉल सेविंग्स पूल के जरिए सरकार कुछ हिस्सा जुटा सकती है। अंतरिम डिविडेंड के रूप में सरकार को रिजर्व बैंक से भी अतिरिक्त फंड मिलने की उम्मीद है। 

हर साल किसानों को 15 हजार!
पिछले दिनों इकनॉमिक टाइम्स ने भी खबर दी थी कि किसानों को इनकम सपोर्ट के रूप में हर साल प्रति हेक्टेयर 15000 रुपये देने पर विचार चल रहा है। मामले से वाकिफ लोगों ने बताया कि नीति आयोग ने डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के जरिए अपफ्रंट सब्सिडी का सुझाव दिया है। आयोग ने सुझाव दिया है कि उर्वरक, बिजली, फसल बीमा, सिंचाई और ब्याज में रियायत सहित खेती-बाड़ी से जुड़ी हर तरह की सब्सिडी की जगह इनकम ट्रांसफर की व्यवस्था अपनाई जाए। एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने ईटी को बताया कि ऐसा मैकेनिज्म बनाने का विचार है, जिससे कृषि क्षेत्र की परेशानी दूर हो, सब्सिडी वाले यूरिया और बिजली का दुरुपयोग रुके और किसानों को आर्थिक आजादी मिले। इससे सब्सिडी वाले फर्टिलाइजर को दूसरी इंडस्ट्रीज में ले जाने की हरकत भी रुकेगी। 

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