किडनी रोगों के कारण बच्चों की मौत न हो, एम्स में विशेषज्ञों ने किया मंथन

भोपाल
भारत जैसे विकासशील देशों में किडनी रोगों के कारण बच्चों की मौत न हो इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तकनीकें और शोध किये जा रहे हैं। बच्चों में किडनी रोगों से संबंधित डाटा एकत्रित कर शोध और उन्हें जल्दी इलाज मुहैया कराने की पहल की जानी चाहिए। ये उद्गार एम्स भोपाल के डायरेक्टर डा सरमन सिंह ने एक दिवसीय पीडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी की कार्यशाला में व्यक्त किये। 

 एम्स भोपाल के डायरेक्टर डा सरमन सिंह ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चों में गुर्दा रोगों के मुख्य कारण जन्म के समय कम वजन होना,गर्भावस्था के दौरान मां को पोषणयुक्त भोजन न मिलना,साफ पेयजल उपलब्ध न होना,विटामिन ए की कमी के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में देशी और आयुर्वेदिक दवायें बिना विशेषज्ञ की सलाह के लेना प्रमुख कारण हैं। ग्रामीण और सुदूर इलाकों में बाल रोग विशेषज्ञों को तैनात कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।

एम्स भोपाल की बाल रोग विभाग की एचओडी प्रो.शिखा मलिक ने कहा कि एम्स में संचलित बाल रोग विभाग में पूरे प्रदेश से आने वाले गुर्दे की बीमारियों से पीडित बच्चों क ो इलाज मुहैया करा रही है। दिल्ली एम्स के प्रो अरविंद बग्गा ने कहा कि देश में एक तिहाई बच्चों में गुर्दा रोगों की समस्या पाई जाती है। यदि इन्हें समय से इलाज मिल जाये तो इन्हें बचाया जा सकता है। गुर्दा रोगों से पीडित 13 प्रतिशत बच्चों की मौत भी हो जाती है। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ  गिरीश सी भट्ट ने कहा कि बच्चों में अनियंत्रित उच्च रक्तचाप वयस्क होने पर  गुर्दे या मस्तिष्क विकृति का कारण बन सकता है। इस प्रकार, बच्चों में उच्च बीपी का शीघ्र निदान वयस्कता में हृदय की बीमारियों को रोक देगा।

कार्यशाला में मैकगिल यूनिवर्सिटी कनाडा के डा मार्टिन बिट्जैन ने एम्स के बाल रोग विभाग का निरीक्षण किया। कार्यशाला में डा पंकज हरि,डा भावना,महेश,नरेन्द्र, डा. चेतन खरे के अलावा 100 से अधिक बाल रोग विशेषज्ञों ने भाग लिया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *