काशी का रण: आंबेडकर से मालवीय पर शिफ्ट हो रही कांग्रेस?

 
नई दिल्ली 

दिल्ली की गद्दी के लिए हो रहे आम चुनाव के अंतिम चरण के रण में सियासी पारा उफान पर है. कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में पार्टी प्रत्याशी अजय राय के पक्ष में माहौल बनाने के लिए रोड शो कर अपनी सियासी ताकत का एहसास कराया. दिलचस्प बात यह है कि काशी में कांग्रेस अंबेडकर से मालवीय पर शिफ्ट होती नजर आई. इसके बाद सियासी गलियारों में कांग्रेस की नीति और नीयत के साथ ही राजनीतिक निहितार्थ भी तलाशे जाने लगे हैं.

बता दें कि काशी में कांग्रेस के अतीत को खंगाले तो अंबेडकर प्रेम साफ नजर आता है.काशी में कांग्रेस नेताओं के अधिकतर रोड शो, जनसभाओं की शुरुआत डॉ भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण से व पीली कोठी और चौका घाट इलाकों से ही हुई हैं. 2 अगस्त 2016 को जिस रोड शो के दौरान कांग्रेस की तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी की तबीयत बिगड़ गई थी, उस शो की शुरुआत भी वाराणसी कचहरी में डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण से ही हुई थी.  

जबकि प्रियंका गांधी का बुधवार को रोड शो पंडित मदनमोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ लंका से शुरू हुआ और समापन काशी विश्वनाथ के दरबार पहुंच कर पूजा अर्चना से. लगभग तीन दशकों से बीजेपी का गढ़ रहे काशी में अचानक अंबेडकर से मालवीय पर शिफ्ट हुई कांग्रेसी राजनीति के पीछे गौर करने वाली बात है यह भी है कि कुछ ही दिन ही पूर्व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का रोड शो भी मालवीय प्रतिमा से ही शुरू हुआ था. प्रियंका के रोड शो का रूट भी वही था जो पीएम मोदी का.

इसे प्रियंका के उस हालिया बयान से जोड़कर भी देखा जा रहा है जिसमें उन्होंने भाजपा के वोट में सेंध लगाने के लिए उम्मीदवार उतारने की बात कही थी. कांग्रेस खुद से छिटक कर बसपा के साथ जा चुके दलितों को उनकी अस्मिता के प्रतीक अंबेडकर के सहारे अपने पाले में लाने का प्रयास करती रही है. कभी कांग्रेस के मूल वोटबैंक रहे सवर्ण और खासकर ब्राह्मण नब्बे के दशक के बाद बीजेपी के साथ मजबूती से खड़े नजर आए.

एससी-एसटी एक्ट में संशोधन और तेरह प्वाइंट रोस्टर को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला संसद में पलटे जाने से सवर्ण समुदाय के बीच नाराजगी मानी जा रही है. कांग्रेस इन्हें लगातार साधने की कवायद में जुटी है. इसी कड़ी में प्रियंका गांधी इस शो के पीछे कांग्रेस का खोया हुआ ब्राह्मण और सवर्ण वोट बैंक वापस पाने की छटपटाहट साफ नजर आ रही है.

कांग्रेस के आदर्श पुरुष राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, सरदार वल्लभ भाई पटेल के बाद पीएम मोदी ने 2014 में महामना मालवीय को भारत रत्न देकर अपने पाले में कर लिया. 2014 के चुनाव में महामना के पोते गिरिधर मालवीय मोदी के प्रस्तावक भी थे. ऐसे में कांग्रेस को इस बार के काशी में मतदान से पहले गुलामी काल में अपने अध्यक्ष पद को सुशोभित कर चुके मालवीय की याद आई तो वह बेवजह नहीं थी.

बीजेपी के हिंदुत्व बनाम कांग्रेस का सॉफ्ट हिंदुत्व

एक तरफ बीजेपी यूनिफाइड हिंदू वोट बैंक बनाने की कोशिश कर रही है जिसके सहारे दिल्ली की गद्दी पर लंबे समय तक काबिज रहा जा सके तो दूसरी तरफ कांग्रेस इस प्रयास को विफल बनाने की कोशिश में सॉफ्ट हिंदुत्व की राह चलती नजर आई है. राहुल गांधी के मंदिर भ्रमण हों या अब प्रियंका का काशी विश्वनाथ और काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव के दरबार में दर्शन पूजन करना, कांग्रेस की बदली रणनीति की ओर साफ इशारा करते हैं.

पीएम मोदी के खिलाफ पार्टी के उम्मीदवार अजय राय भी प्रचार के दौरान विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के लिए तोड़े गए मंदिरों का जिक्र कर हिंदू अस्मिता जगाकर काशी की बाजी अपने नाम करना चाहते हैं. हिंदुत्व के पोस्टर ब्वॉय पीएम मोदी को हिंदुत्व के ही अस्त्र से कांग्रेस कितनी चुनौती दे पाएगी. यह तो 23 मई को ही पता चलेगा. लेकिन कांग्रेस के बदले तेवर ने अबकी बार सात लाख पार का नारा दे रही बीजेपी के सामने मुश्किलें जरूर खड़ी कर दी हैं.

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