कारों की संख्या सीमित करने के लिए हम दो हमारे दो जैसी कोई शुरुआत हो: सुप्रीम कोर्ट

 नई दिल्ली 
दिल्ली-एनसीआर में गाड़ियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई। सर्वोच्च अदालत ने कारों की संख्या और प्रदूषण को देखते हुए कहा कि परिवार नियोजन की ही तरह गाड़ियों के लिए भी ऐसे किसी प्लान को लाने की जरूरत है। दिल्ली-एनसीआर में कारों की संख्या एक करोड़ से ऊपर हो चुकी है। प्रतिवर्ष गाड़ियों की संख्या में 7 लाख की वृद्धि दर्ज की जा रही है। इस पर चिंता जताते हुए कोर्ट ने कहा कि गाड़ियों की संख्या निर्धारित करने के लिए परिवार नियोजन के 'हम दो हमारे दो' जैसे किसी कैंपेन की जरूरत है। इससे राजधानी में रहनेवाले लोगों पर बेहिसाब गाड़ी खरीदने की प्रवृत्ति पर रोक लग सकेगी।  
 
जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता ने दिल्ली के लोगों में अधिक संख्या में गाड़ी खरीदने पर चिंता जताई। गाड़ियों की इस बढ़ती हुई संख्या के कारण सड़कों पर भारी ट्रैफिक और प्रदूषण को लेकर भी सर्वोच्च अदालत ने चिंता जताई। बेंच ने कहा कि दिल्ली को रहने लायक स्थान बनाने के लिए कारों की संख्या और दूसरे वाहनों की संख्या को कम करना अनिवार्य है। 

पार्किंग की समस्या से बिगड़ रहे लोगों के संबंध 
बेंच ने पार्किंग की समस्या को लेकर होनेवाले झगड़ों पर भी टिप्पणी की। दो जजों की बेंच ने कहा, 'ऐसे घर जहां कमानेवालों की संख्या 2 या इससे अधिक है, वहां 1 से अधिक संख्या में कार होने में कोई बुराई नहीं है। इन दिनों एक ट्रेंड बन रहा है जब एक ही आदमी के पास 5 या इससे भी अधिक गाड़ियां हैं। पड़ोसियों के साथ संबंध इन दिनों कारों के कारण लगातार बिगड़ रहे हैं। बढ़ती हुई गाड़ियों की संख्या के कारण पार्किंग स्पेस को लेकर आए दिन झगड़े होते रहते हैं। क्या कारों के लिए हम कोई फैमिली प्लानिंग हम दो हमारे दो के तर्ज पर कोई नियम नहीं बना सकते हैं?' 

सुप्रीम कोर्ट बजाज ऑटो की तरफ से दायर याचिका पर सुनावई करते हुए यह बात कही। सुप्रीम कोर्ट ने ऑटो की खरीद पर कैप लगा रखा है और बजाज ऑटो ने इस रोक को खत्म करने के लिए सर्वोच्च अदालत में याचिका दी थी। बजाज ऑटो का तर्क है कि ऑटो से होनेवाला प्रदूषण तुलनात्मक रूप से कम होता है इसलिए कोर्ट को बिक्री पर लगी पाबंदी हटा देनी चाहिए। इसके साथ ही ऑटो की संख्या बढ़ने से लोगों के बीच पब्लिक ट्रांसपॉर्ट का भी प्रयोग किया जाएगा। 
 

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