कारगिल युद्ध- 20 साल: गोलीबारी के बीच गणेश ने भेदा था दुश्मन का किला

दानापुर    
कारगिल युद्ध में बिहारी सैनिकों ने जिस जोश, जज्बा और जुनून से पाकस्तिानी सैनिकों व आतंकवादियों के छक्के छुड़ाये। उसकी चर्चा आज भी भारतीय सेना में गौरव के साथ की जाती है। जब करगिल के बटालिक सब सेक्टर में 14000 फुट की ऊंचाई पर पाकस्तिानी सैनिकों ने कब्जा जमा रखा था। चारों तरफ बारूदी सुरंगों व तोपों से मजबूत किलाबंदी जारी थी। .

चौकी प्वाइंट 4226 पर कब्जा करने का कार्य चार्ली कंपनी को सौपा गया। 28 मई 1999 को ऑपरेशन विजय शुरू किया गया था। मानस बल के डलझील से एक बटालियन ने शाम को कूच किया। अगले दिन सुबह सभी बटालिक सब सेक्टर पहुंचे। रात भर का सफर तय किया था। उसके बाद भी 29 मई को चार घंटे पैदल चलने के बाद प्रात: चार बजे पाकस्तिानी सैनिकों और घुसपैठियों पर हमला बोल दिया। चार्ली कंपनी में पटना जिले के बिहटा निवासी नायक गणेश प्रसाद यादव को आक्रमण दल में सबसे आगे रखा गया था। .

सैनिक अभी चढ़ाई चढ़ ही रहे थे कि पाकस्तिानी सैनिकों ने भारी गोलीबारी शुरू कर दी। नायक गणेश यादव ने अपनी सुरक्षा की बल्किुल परवाह नहीं करते हुए दुश्मन के बनाये किले में घुस गए और दो भाड़े के विदेशियों को देखते ही देखते मार गिराया। उसके बाद आगे बढ़े ही थे कि नायक यादव को निशाना बनाते गोलियों की बौछार कर दी गई। जिससे वे गंभीर रूप से जख्मी हो गए। बावजूद वे लगातार गोलीबारी करते जा रहे थे और अंतत: मां भारती की गोद में हमेशा के लिए सो गए। अपनी बहादुरी के परचम लहराने वाले गणेश यादव को सेना ने मरणोपरान्त वीरचक्र से सम्मानित किया गया।

शहीद गणेश के पिता रामदेव यादव व मां बचिया देवी का कहना है कि सरकार चाहे किसी की हो घटना के बाद शहीद को भूल जाती है। लालू प्रसाद ने घोषणा के बाद हमें और हमारे गांव को भुला दिया। वर्तमान मुख्यमंत्री से भी कोई उम्मीद नहीं रही।

शहीद गणेश की पत्नी पुष्पा बताती है की सरकार ने सम्मान के नाम पर कुछ भी नहीं किया।सारे घोषणाएँ झूठे व अधूरे है।हमारी एक ही ख़्वाहिश है की लई चौक पर जो प्रतिमा लगाई गयी है।वहाँ कोई व्यवस्था नहीं होने की कारण पूरे साल प्रतिमा की हाल बदहाल बनी रहती है।सरकार इस प्रतिमा को कारगिल चौक की तरह व्यवस्था कराये।जिसे देखकर गाँव के युवा फौज में जाना फक्र समझे।पुष्पा ने बताया की वो अपने बेटा अभिषेक व बेटी प्रेम ज्योति को भी फौज में भेजेगी।ताकि अपने पिता के अधूरे सपनों को पूरा कर देश का नाम रौशन कर सके।

 

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