कांग्रेस-BJP का बहुत कुछ दांव पर, पहले चरण में ही पूर्वोत्तर से साउथ तक बड़ी जंग

 
नई दिल्ली
    
लोकसभा चुनाव के औपचारिक ऐलान के साथ ही राजनीतिक दल पूरी तरह से रणक्षेत्र में उतर चुके हैं. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने रविवार को लोकसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. देश की 543 लोकसभा सीटों पर 7 चरणों में चुनाव होंगे और नतीजे 23 मई को आएंगे. ऐसे में पहले चरण में पूर्वोत्तर से लेकर दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश और तेलंगाना की संसदीय सीटों पर मतदान होने हैं. यही नहीं यूपी और बिहार की कुछ सीटों पर चुनाव होने हैं. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी दोनों पार्टियों के लिए छत्रपों से कड़ी चुनौती की संभावना नजर आ रही है.

पहले चरण में इन राज्यों के चुनाव

बता दें कि लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 20 राज्यों की 91 सीटों पर 11 अप्रैल को मतदान होगा. इनमें आंध्र प्रदेश की 25, अरुणाचल की 2, असम की 5, बिहार की 4, छत्तीसगढ़ की 1, जम्मू-कश्मीर की 2, महाराष्ट्र की 7, मणिपुर 1, मेघालय की 2, मिजोरम की 1, नागालैंड की 1, ओडिशा की 4, सिक्किम की 1, तेलंगाना की 17, त्रिपुरा की 1, उत्तर प्रदेश की 8, उत्तराखंड की 5, पश्चिम बंगाल की 2, अंडमान निकोबार की 1  और लक्षद्वीप की 1 लोकसभा सीट शामिल है.

पूर्वोत्तर में बीजेपी का फोकस

पूर्वोत्तर की कुल 25 लोकसभा सीटें हैं, लेकिन पहले चरण में इनमें से 14 सीटों पर चुनाव होने हैं. अरुणांचल की जिन 2 सीटों पर चुनाव हैं, 2014 के चुनाव में एक सीट बीजेपी और कांग्रेस को मिली थी. 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी का पूर्वोत्तर में ग्राफ तेजी से बढ़ा है. एनआरसी को लेकर बीजेपी 2019 के चुनाव में फायदा के उम्मीद लगाए हुए थी, लेकिन नागरिकता संशोधन बिल और पर्मानेंट रेजिडेन्स सर्टिफिकेट यानि पीआरसी के मुद्दे ने सारे समीकरण बिगाड़ दिए हैं. इसका नतीजा है कि पूर्वोत्तर में बीजेपी के कई सहयोगी दल नाराज हैं ऐसे में बीजेपी को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना दिख रही है. हालांकि ये इलाका कांग्रेस का एक दौर में मजबूत गढ़ रहा है.
 

उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर दांव
पहले चरण में उत्तर प्रदेश की की 8 सीटों पर लोकसभा चुनाव होने हैं. इनमें सहारनपुर, कैराना, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, मेरठ, बागपत, गाजियाबाद और नोएडा संसदीय सीट पर वोट डाले जाएंगे. 2014 के लोकसभा चुनाव में मुजफ्फरनगर दंगे के बाद वोटों के ध्रुवीकरण ने सभी दलों के समीकरण को बिगाड़ दिया था. इन आठों सीटों पर बीजेपी कमल खिलाने में कामयाब रही थी.

लेकिन इस बार का सियासी मुकाबला पिछले चुनाव से काफी अलग होने की उम्मीद है. बीजेपी के खिलाफ सपा-बसपा और आरएलडी ने गठबंधन करके चुनावी मैदान में उतर रही है. माना जा रहा है कि इन तीन दलों के साथ आने से दलित, मुस्लिम और जाट समुदाय एक साथ आ सकते हैं. अगर इस समीकरण को गठबंधन बनाने में सफल रहता है तो बीजेपी के लिए पिछले रिकॉर्ड को दोहरा लोहे की चने चबाने जैसा होगा.

दक्षिण की 42 सीटों पर कांटे की टक्कर

पहले चरण में आंध्र प्रदेश की 25 और तेलंगाना की 17 लोकसभा सीटों पर भी चुनाव होने हैं. इन दोनों राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी के बजाय मुकाबला यहां के क्षेत्रीय दलों के बीच नजर आ रहा है. हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी आंध्र प्रदेश में टीडीपी के साथ मिलकर चुनावी मैदान में उतरी थी. आंध्र और तेलंगाना की 42 सीटों में से बीजेपी 3, कांग्रेस 2, टीआरएस 11, टीडीपी 16, वाईएसआर कांग्रेस 9 और एमआईएम को 1 सीट मिली थी. इस बार टीडीपी बीजेपी से अलग होकर चुनावी मैदान में है. दोनों राज्यों में कांग्रेस और बीजेपी का किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं है.

महाराष्ट्र की 7 लोकसभा सीटों पर पहले चरण में वोट डाले जाएंगे. इनमें वर्धा, रामटेक, नागपुर, भंडारा-गोंदिया, गढ़चिरौली, चंद्रपुर, यवतमाल सीट है. इनमें से अधिकतर सीटें विदर्भ इलाके की हैं. बीजेपी-शिवसेना और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच मुकाबला होगा. इसके अलावा प्रकाश आंबेडकर ने ओवैसी के साथ गठबंधन करके एक बड़ी चुनौती बनकर उभरे हैं. हालांकि माना जा रहा है कि प्रकाश आंबेडकर के बढ़ते ग्राफ से कांग्रेस से बड़ा नुकसान हो सकता है.

बिहार की 4 सीटें

पहले चरण में बिहार की 4 सीटों पर मतदान होना है. इनमें से औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई लोकसभा सीट है. इस इलाके में एनडीए का दमखम है, लेकिन मांझी महागठबंधन के साथ हैं. ऐसे में बीजेपी को इस इलाके में महागठबंधन से कड़ी चुनौती मिलने की संभावना है.

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