कांग्रेस विधायक ने जून से राज्य के सभी धार्मिक स्थलों को खोलने की मांगी अनुमति

रायपुर
कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय ने एक जून से राज्य के सभी धार्मिक स्थलों को खोलने की अनुमति देने की मांग सरकार से की है. इस संबंध में विकास उपाध्यय ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी मिलकर चर्चा की है. लॉकडाउन के बाद से पूरे प्रदेश भर में धार्मिक स्थलों के पट श्रद्धालुओं के लिए बंद हैं. विकास उपाध्याय का कहना है कि हिंदुओं और विभिन्न धर्मों की आस्था हमेशा से भगवान और देवी-देवताओं के पूजा पाठ और अपने धार्मिक स्थलों के प्रति रही है. केन्द्र सरकार के गाइडलाइन में मंदिरों को बंद रखने की बात कही गई है तो इस संबंध में केंद्र को भी विचार करना चाहिए जब सभी चीजों में कुछ न कुछ ढील दी जा रही है तो मंदिरों को खोलने अब देरी करना ठीक नहीं होगा. उनका कहना है कि इस संबंध में मुख्यमंत्री से मिल कर विस्तृत चर्चा की है.

विकास उपाध्याय का कहना है कि हम एक साथ सभी मंदिरों को नहीं बल्कि हर देवता के वार के अनुसार मंदिर खोलने की मांग कर रहे हैं. जैसे सोमवार हो शिवजी, मंगलवार को  हनुमान मंदिर खोलना चाहिए. इसी तरह अन्य धार्मिक स्थलों को खोला जाए. कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय का कहना है कि मंदिर  हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है मंदिरों में पूजा पाठ जो कोरोना के चलते और केंद्र की गाइडलाइन के चलते महीनों से बंद है. जबकि इस बीच एक समय के बाद जन सामान्य के लिए विभिन्न चीजों में छूट देना शुरू हो गया है. दुकानें खुल गई हैं, लेकिन भगवान के द्वार अभी भी खुले नहीं है.

विकास उपाध्याय ने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से भी मुलाकात कर इस संबंध में विस्तृत चर्चा की है और कहा है कि केन्द्र सरकार से सकारात्मक बात कर इस संबंध में निर्णय लिए जाना चाहिए. सरकार इस संबंध में विचार कर 1 जून से प्रदेश के मंदिरों को खोलने निर्णय लें. मंदिरों को सैनिटाइज कर सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भक्तों को पूजा-पाठ की अनुमति वाली बात लागू रखी जाए.

वहीं इधर मंदिर के पुजारियों को जीवन निर्वाह भत्ता देने की मांग को लेकर छत्तीसगढ़ संगवारी संघर्ष समिति ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्वाइंट कलेक्टर यूएस अग्रवाल को ज्ञापन सौंपा समिति के अध्यक्ष राजकुमार राठी का कहना है कि विगत 65 दिनों से लॉकडाउन की वजह से मंदिर बंद होने के कारण मंदिर में पूजा करने वाले पंडितों की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है. इन्हें तत्काल जीवन निर्वाह भत्ता देने की आवश्यकता है जिससे पंडितों को हो रही समस्या का समाधान हो सके. इस मांग को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नाम ज्ञापन सौंप तत्काल पंडितों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करने की मांग की गई. अगर मांग पूरी नहीं होती है तो 1 जून से सभी पंडित धारा 144 और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपने-अपने निवास के सामने भूख हड़ताल पर बैठेंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी.

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