कांग्रेस ने उम्मीदवारों की सूची जारी कर लगाया अलायंस में शामिल होने की अफवाहों पर ब्रेक!

लखनऊ 
उम्मीदवारों की घोषणा में अक्सर पीछे रहने वाली कांग्रेस ने इस बार आम चुनाव की अधिसूचना से पहले ही 11 प्रत्याशी घोषित कर एक तीर से दो निशाने साधे हैं। सूची जारी करने के साथ ही राहुल ने उन नेताओं और सोशल मीडिया पर बयानों की बोलती बंद कर दी है, जो अमेठी और रायबरेली की सीटें छोड़ने के 'बल' पर ही कांग्रेस को महागठबंधन का हिस्सा बता रहे थे। दूसरी तरफ पहले उम्मीदवारों की घोषणा शुरू कर कांग्रेस अध्यक्ष ने अपने उस बयान को और मजबूती दी है कि अब कांग्रेस 'फ्रंटफुट' पर रहेगी। कांग्रेस ने आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर शुक्रवार को 15 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की। इनमें चार उम्मीदवार गुजरात के और 11 उत्तर प्रदेश के हैं। पिछले दो दशकों में यह पहला मौका है जब कांग्रेस ने चुनाव आचार संहिता लागू होने से पहले प्रत्याशियों की घोषणा कर दी। पार्टी सूत्रों की माने तो पहली सूची में जिन उम्मीदवारों की घोषणा की गई है, वे सभी कांग्रेस के मजबूत नेता हैं और उनका टिकट पहले से पक्का माना जा रहा था। 

कांग्रेसी नेताओं में अभी भी महागठबंधन को लेकर सुगबुगाहट 
चुनाव की घोषणा से पहले कांग्रेस ने सूची जारी कर यूपी में एसपी-बीएसपी गठबंधन में शामिल होने की चर्चाओं पर विराम लगा दिया है। हालांकि, कांग्रेस नेतृत्व शुरू से ही यूपी में अपने बल पर चुनाव लड़ने की बात कह रहा है। इसके बाद भी एसपी अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार कांग्रेस को महागठबंधन का हिस्सा बता रहे थे। पिछले दिनों ही अखिलेश यादव ने आरएलडी को महागठबंधन में शामिल करते हुए फिर दोहराया था कि उन्होंने अमेठी और रायबरेली की दो सीटें छोड़ी हैं और कांग्रेस भी महागठबंधन का हिस्सा हैं। हालांकि, कांग्रेसी नेताओं में अभी भी महागठबंधन को लेकर सुगबुगाहट थमी नहीं है। 
 
एसपी को दिया झटका 
11 उम्मीदवारों की सूची में कांग्रेस ने बदायूं लोकसभा सीट पर वरिष्ठ नेता सलीम इकबाल शेरवानी को टिकट देने का ऐलान किया है, जबकि मौजूदा समय में बदायूं सीट पर अखिलेश के चचेरे भाई धर्मेंद्र यादव सांसद हैं। बीएसपी के समझौते में ही यह सीट एसपी के लिए छोड़ी गई है। ऐसे में बदायूं पर प्रत्याशी की घोषणा कर कांग्रेस ने सबसे बड़ा झटका एसपी को ही दिया है। 

'गठबंधन से कांग्रेस को नुकसान ही हुआ' 
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की मानें तो कांग्रेस को हमेशा गठबंधन से नुकसान ही पहुंचा है। गठबंधन के बाद ही कांग्रेस का मूल वोट बैंक जो दूसरे दलों में गया, उसे वापस लाने की कवायद आज तक चल रही है। उन्होंने बताया कि 2009 में कांग्रेस ने अपने बल पर लोकसभा का चुनाव लड़ा और यूपी की 80 में से 21 सीटें जीती थीं। 2012 में छोटे दलों के साथ विधानसभा के चुनाव में उतरी कांग्रेस को करीब 28 सीटें मिलीं। 2014 में एसपी से समझौता किया तो कांग्रेस दहाई की संख्या भी नहीं पार कर पाई। केंद्रीय नेतृत्व ने इस सूची के जरिए प्रदेश कांग्रेस को शुभ संकेत दिए हैं। 
 

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