कहीं फेल ना हो जाएं कांग्रेस-बीजेपी के ये तुरुप के इक्के

भोपाल 
मध्य प्रदेश में लोकसभा चुनाव कई मायनों में दिलचस्प होते जा रहे हैं. सियासत के दाव पेंच दूर से देखने वालों के लिए ये जितना दिलचस्प है, उतना ही कठिन है मैदान में उतरे सियासी दिग्गजों के लिए.असल में इस चुनाव में मध्यप्रदेश के वो नेता जो कभी अपनी पार्टी के लिए जीत के ट्रंप कार्ड बने हुए थे, इस चुनाव में उनका ही पॉलिटिकल करियर दांव पर लग गया है.ये सियासी सितारे जीत गए तो फलक पर चमकते रहेंगे, लेकिन हार गए तो गर्दिश में जा भी सकते हैं.

दिग्विजय सिंह

  •  2003 में विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद 10 साल तक कोई पद ना लेने का एलान कर चुके दिग्विजय सिंह प्रदेश से निकलकर दिल्ली की राजनीति में सक्रिय रहे
  •  10 साल का वादा पूरा होने के बाद राज्यसभा सांसद बने
  •  एमपी में कमलनाथ सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई
  •  अब लोकसभा चुनाव में बीजेपी की गढ़ भोपाल सीट से प्रत्याशी बने
  • बीजेपी ने अगर दिग्‍व‍िजय के सामने शिवराज सिंह चौहान को उतारा तो 16 साल पुरानी जंग दोहराई जाएगी.

अजय सिंह

  • हाल के विधानसभा चुनाव में अपनी परंपरागत सीट चुरहट से हारे
  • विधानसभा चुनावी में हार के बाद उम्मीद थी पार्टी प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष बनाएगी,लोकसभा चुनाव के बाद इन उम्मीदों के धरातल पर उतरने वाली गुंजाइश बन सकती है.

अरुण यादव

  • अरुण यादव का पद प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का रहा लेकिन कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रदेश की सियासत में सक्रिय होने के बाद पद महत्व कम हो गया. विधानसभा चुनाव में शिवराज सिंह के खिलाफ बुधनी से उतरे लेकिन हार गए.
  • इस चुनाव में उनके सामने नंदकुमार सिंह चौहान हैं, जो पिछली दफा अरुण यादव को लोकसभा चुनाव हरा चुके हैं.

सुमित्रा महाजन

  • टिकट में देरी धड़कनें बढ़ा रही हैं
  • विरोध बढ़ गया है
  • टिकट नहीं मिला और अगर मिलने के बाद हार गयीं तो नतीजा एक ही होगा.

नरेंद्र सिंह तोमर

  • भोपाल से दिल्ली तक अपना खास रुतबा रखने वाले तोमर को इस बार सीट बदलनी पड़ी है
  • एक केंद्रीय मंत्री रहते और ग्वालियर इलाके में अपनी तूती बुलवाने वाले तोमर के लिए ये चुनाव चुनौती की तरह है.
  • वो अपनी सीट ग्वालियर छोड़कर इस बार मुरैना से चुनाव लड़ रहे हैं.

शिवराज सिंह चौहान

  •  13 साल मध्य प्रदेश के सीएम रहे-विदिशा या भोपाल से टिकट की चर्चा चल रही है
  • यदि दिग्विजय सिंह के सामने भोपाल में मैदान में उतारे गए तो चुनाव हाईप्रोफाइल हो जाएगा
  • विधानसभा चुनाव की हार के बाद अगर ये चुनाव भी हारे तो सियासी वजन कम हो सकता है.ये चुनाव सबसे बड़ी चुनौती है.

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