कश्मीर में हलचल के मायने बाहरी खतरा या भीतरी चुनौती है?

 
नई दिल्ली 

पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में बैचेनी है। यह बेचैनी घाटी तक सीमित नहीं है। इसके दायरे में दिल्ली का राजनीतिक गलियारा भी है। शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा रोकने के फैसले के बाद से 'लगता है, कुछ बड़ा होने वाला है कश्मीर में…' वाली बात फिजाओं में है। उसके बीच सवाल यह भी है कि कश्मीर में बाहरी ताकतों से खतरा है या फिर यह भीतर की चुनौतियों से ही निपटने की तैयारी है। 
 
धारा 35 ए पर मोदी सरकार को लगता है कि यह सबसे मुफीद वक्त है जब वह कड़ा स्टैंड दिखा सकती है। अगले हफ्ते एक याचिका पर सुनवाई हो सकती है, जिसमें इस धारा की वैधता पर सवाल उठाए गए हैं। सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना पक्ष रखते हुए कह सकती है कि उसे इस धारा को हटाने से आपत्ति नहीं है। यह धारा 370 के मूल अवधारणा में नहीं थी। मालूम हो कि धारा 35 ए के तहत जम्मू-कश्मीर में वहां के मूल निवासी के अलावा देश के किसी दूसरे हिस्से का नागरिक कोई संपत्ति नहीं खरीद सकता। इससे वह वहां का नागरिक भी नहीं बन सकता है। 1954 में इस धारा को धारा 370 के तहत दिए गए अधिकारों के तहत ही जोड़ा गया था। 
तीन तलाक से बढ़ी हिम्मत 
धारा 370 हटाना बीजेपी के राजनीतिक अजेंडे में है। अगर सरकार इस पर निर्णायक फैसला लेती है, तो इसे संसद से भी मंजूरी लेनी होगी। तीन तलाक और आरटीआई कानून जैसे बिल पर राज्यसभा में विपक्ष को पटकनी देने के बाद बीजेपी को लगता है कि वह इस मुद्दे पर अब बढ़ सकती है। साथ ही राजनीतिक रूप से भी इसका विरोध करना अब आसान नहीं होगा। हालांकि बीजेपी की सहयोगी जेडीयू और अकाली दल इस बात की विरोधी रही है। इसके अलावा परिसीमन आयोग को लेकर भी चर्चा गर्म है, जिसके बाद बीजेपी की मंशा है कि वहां आबादी के हिसाब से नए सिरे से विधानसभा सीटें तय हो। इससे जम्मू की सीटें अधिक हो जाएगी और वहां हिंदू सीएम बनाने का रास्ता साफ हो सकता है। 

विधानसभा चुनाव की चर्चा भी गर्म 
मोदी सरकार ने तत्काल कश्मीर पर किसी बड़े फैसले की संभावना को खारिज करते हुए मौजूदा घटनाक्रम को वहां से मिली खुफिया रिपोर्ट और चुनाव की तैयारी से जोड़ रही है। तय कार्यक्रम के अनुसार राज्य में अक्तूबर-नवंबर में बर्फ गिरने से पहले विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव के लिए वहां बहुत बड़ी संख्या में सुरक्षा बलों की जरूरत होगी। सुरक्षा कारणों से ही वहां एक लोकसभा सीट पर दो चरणों में चुनाव कराने पड़े थे। सरकार वहां लोगों की भागीदरी से कामयाबी से चुनाव कराके अलगाववादी ताकतों को करारा जवाब देना चाहती है। 

पिछले कुछ दिनों में बढ़ी हलचल 
27 जुलाई: 10,000 से ज्यादा जवानों को जम्मू-कश्मीर में तैनात कर दिया गया।
28 जुलाई: पीएम मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में जम्मू-कश्मीर पर फोकस किया। उन्होंने कहा, विकास की मदद से बंदूक और बमों पर विजय पाई जा सकती है।
30 जुलाई: दिल्ली में जम्मू-कश्मीर बीजेपी इकाई के कोर ग्रुप की अहम बैठक हुई। विधानसभा चुनाव इसी साल कराने के संकेत दिए गए।

घाटी में हैं करीब 115 विदेशी आतंकी 
सूत्रों के मुताबिक इस वक्त घाटी में करीब 270-275 आतंकी सक्रिय हैं। इनमें से 115 विदेशी आतंकी हैं और करीब 162 लोकल आतंकी। इंटेलिजेंस सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान की तरफ से करीब 200 आतंकी घुसपैठ की फिराक में हैं। आतंकियों के 14 से 16 लॉन्च पैड हैं जिनसे आतंकी घुसने की कोशिश कर सकते हैं। दो दिन पहले ही आर्मी ने घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया है। तीन दिन पहले जब पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर वायलेशन में एकदम तेजी आई उस वक्त घुसपैठ की कोशिश की गई थी। जब भी आतंकी घुसपैठ की कोशिश करती है तो पाकिस्तान की सेना उन्हें कवर फायर देती है। 

अफवाहों पर ध्यान न दें: राज्यपाल 
जम्मू-कश्मीर में सरकार की ओर से जारी सिक्यॉरिटी अडवाइजरी और घाटी में बड़े पैमाने पर सुरक्षाबलों की तैनाती के बाद पैदा हुए तनावपूर्ण माहौल के बीच महबूबा मुफ्ती और शाह फैसल समेत राज्‍य के नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने देर रात राज्‍यपाल सत्‍यपाल मलिक से मुलाकात की। नेताओं के प्रतिनिधिमंडल ने कश्‍मीर में 'भयपूर्ण वातावरण' पर चिंता जताई। कश्‍मीरी नेताओं की चिंता पर राज्‍यपाल ने उन्‍हें अफवाहों पर ध्‍यान नहीं देने की सलाह दी। 
 

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