कर्मचारियों की कमी से जूझ रही जांच एजेंसी, EOW ने सरकार से जांच के लिए मांगे 400 अफसर

भोपाल
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ‘ईओडब्ल्यू’ के पास कर्मचारियों का जबरदस्त टोटा है। हालत यह है कि जांच एजेंसी के पास जितने मामले लंबित हैं, अगर उसे तय समय सीमा में निपटना है तो कम से कम 400 अफसरों की फौज चाहिए। स्वीकृत पद भी नहीं भरे जा पा रहे हैं। रिक्त पदों को भरने और नए पद स्वीकृत करने के लिए जांच एजेंसी ने राज्य शासन और पुलिस मुख्यालय को कई बार पत्र लिखा है। मगर आज तक कार्रवाई शुरू नहीं हुई है।

मध्यप्रदेश के ई-टेंडरिंग घोटाला, प्याज घोटाला और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में की गई आर्थिक अनियमितता की जांच ईओडब्ल्यू के पास हैं। इन प्रकरणों के अलावा शिक्षा के अधिकार (आरटीई) के तहत स्कूलों को किए गए 19.50 करोड़ रुपए का भुगतान और कालेजों में छात्रवृत्ति के नाम पर किए गए अरबों रुपए के घोटाले की अहम पड़ताल भी जांच एजेंसी के पास है। जांच एजेंसी के पास शिकायतों की तो बाढ़ आ गई है। अमला नहीं होने की वजह से ईओडब्ल्यू से शिकायतें विभागों को भेजी जा रही हैं। विभागों से जांच प्रतिवेदन बुलाए जा रहे हैं। कई मामलों में तो विभागीय कार्रवाई की सलाह दी जा रही है।

ईओडब्ल्यू में हर साल 60 मामले दर्ज होते थे, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद इस साल दर्ज प्रकरणों का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है। इन प्रकरणों की जांच के लिए एजेंसी को अमला चाहिए। वर्तमान में ईओडब्ल्यू में 103 पद स्वीकृत हैं और सिर्फ 65 पद भरे हुए हैं। यानी वर्तमान स्थिति में 38 पद रिक्त हैं। स्थिति यह है कि ईओडब्ल्यू में स्वीकृत पद भी रिक्त पड़े हैं।

बताते हैं कि नए पदों की स्वीकृति के लिए ईओडब्ल्यू से एक प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। पीएचक्यू से रिक्त पदों की पूर्ति के लिए भी पत्र भेजा गया है। पीएचक्यू ने अपने स्तर पर निरीक्षणक और उप निरीक्षक स्तर के अफसरों की पदस्थापना करता है। पीएचक्यू की बहुत सारी शाखाएं ऐसी हैं, जहां पर निरीक्षक और उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी बिना काम के जमे हुए हैं।

ईओडब्ल्यू को सबसे ज्यादा तकनीकी तौर पर दक्ष अफसरों की जरूरत है। ऐसा इसलिए कि ई-टेंडर सहित ज्यादातर प्रकरण तकनीक से जुड़े हैं और अफसरों को अपनी जांच के दौरान तकनीकी साक्ष्य जुटाने हैं। तकनीक की जानकारी नहीं रखने वाले अफसर अगर ईओडब्ल्यू को मिल भी जाएंगे, तो वे शिकायतों की जांच के अलावा ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे।

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