कर्जदारों की सूची में मृत व्यक्ति और ससुराल जा चुकी बेटियों के नाम भी 

 झाबुआ।
 प्रदेश सरकार की जय किसान ऋण माफी योजना की प्रक्रिया पूरी होने से पहले ही पेंच सामने आने लगे हैं। झाबुआ और आलीराजपुर जिलों में कर्जमाफी के आवेदनों के साथ शुक्रवार तक 6046 किसान गुलाबी रंग के फार्म भरकर आपत्ति दर्ज करवा चुके हैं।

सहकारी सोसायटी को लेकर मिली इन आपत्तियों में चौंकाने वाली बात यह है कि मृत व्यक्तियों और ब्याह कर ससुराल जा चुकी बेटियों के नाम भी कर्जदारों की सूची में बता दिए गए हैं, जबकि परिजन का दावा है कि दर्शाए गए कर्ज कभी लिए ही नहीं गए। शनिवार को गांव बिसोली की शिकायत की फाइल सहकारी बैंक के पास भेजी गई।

बिसोली के लोगों ने दो दिन पहले कलेक्टर को 60 लोगों की सूची सौंपी। इसमें ऐसे नाम शामिल हैं जो गांव के हैं ही नहीं। कुछ की तो वर्षों पहले मृत्यु भी हो चुकी है। सूची में कुछ ऐसी बेटियों के नाम भी हैरत में डालने वाले हैं जिनकी शादी हो चुकी है और वे ससुराल पहुंच रह रही हैं। ऐसी ही जाना नाथू मेड़ा हैं। शादी के बाद वह ससुराल जा चुकी है, लेकिन उसके नाम 1.60 लाख रुपए का कर्ज दर्शाया गया है। बिसोली की ही धन्ना कालू भाबोर के नाम 1.39 लाख रुपए का कर्ज बताया गया है। उनका कहना है कि उन्होंने ऋण कभी लिया ही नहीं। बरोड़ गांव के लोगों ने 100 से अधिक लोगों की सूची मुहैया करवाई है।

बरोड़ की लालीबाई पर 2.50 लाख से अधिक का कर्ज बकाया बताया गया है, जबकि उनकी काफी समय पूर्व मृत्यु हो चुकी है। प्रेमचंद के परिवार के लोगों पर लाखों का कर्ज बताया गया है। आपत्ति पेश करने वाले परिजन का कहना है कि उन्होंने कभी ऋण नहीं लिया लेकिन उन्हें कर्जदार दर्शा दिया गया है।
कर्जमाफी के लिए किसानों की सूची बैंकों, सोसायटियों, पंचायतों पर 15 जनवरी को लगाई गई। झाबुआ और आलीराजपुर में जिला सहकारी बैंक में सबसे ज्यादा बकाएदार हैं। इनकी संख्या एक लाख छह हजार 814 है। आवेदन जमा करने की तारीख पांच फरवरी है और अभी तक 95 हजार लोगों ने कर्जमाफी के लिए आवेदन दिए। इसके अलावा 6046 ने आपत्ति जताई है। असंतुष्टों की इतनी बड़ी संख्या को देख यह भी माना जा रहा कि कर्जमाफी के मापदंडों के चलते सूची में अपना नाम नहीं देख लोग नाराज होंगे, लेकिन सारे दावे गलत भी नहीं हो सकते। इनमें से कुछ आपत्तियां ऋण वितरण में गड़बड़ी को उजागर भी सकती हैं।

जांच जरूरी 
जिला सहकारी केंद्रीय बैंक झाबुआ के वरिष्ठ महाप्रबंधक पीएन यादव ने कहा कि गुलाबी आवेदन में कई तरह की बातें हो सकती हैं। इनकी जांच के बाद ही पूरा ब्योरा असलियत सामने आ सकेगी। जहां तक शिकायतों की बात है, निश्चित तौर पर बिना जांच के यह नहीं कहा जा सकता कि ऐसा सकते कि ऐसा नहीं हुआ होगा।

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