करतारपुर कॉरिडोर के पीछे पाकिस्तान की घिनौनी साजिश

पाकिस्तान
आतंकियों को समर्थन देने वाले पाकिस्तान ने करतारपुर कॉरिडोर को लेकर भी नापाक मंसूबा पाल रखा है। भारत विरोधी गतिविधियों के लिए अब उसने सिखों की धार्मिक भावनाओं से खेलने की घिनौनी साजिश की है। खालिस्तानी आतंक को हवा देने के लिए उसने करतारपुर पर अपने विडियो में भिंडरावाले को 'हीरो' की तरह प्रमोट किया है। हालांकि भारत मानकर चल रहा है कि करतारपुर कॉरिडोर से दोनों देशों के बीच विश्वास और एक तरह से मित्रता के रास्ते खुलेंगे। पाकिस्तान के दोहरे रवैये को देखते हुए भारतीय एजेंसियां पूरी तरह चौकन्नी हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी कहा है कि खालिस्तानी आतंकियों की तस्वीर दिखाना इस बात को सही साबित करता है कि ऐतिहासिक कॉरिडोर के पीछे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का छिपा हुआ अजेंडा है।

20 साल बाद अब पाक की तत्परता पर संदेह
दरअसल, भारत सरकार 20 साल पहले से ही कॉरिडोर खोलने के लिए पाक से कहती आ रही है लेकिन एक साल पहले इस प्रॉजेक्ट में पाक सेना ने जो दिलचस्पी दिखाई, वह अपने आप में शक पैदा करता है। पाक की तरह से यह धार्मिक पहल ऐसे समय में की जा रही है जब भारत विरोधी मंसूबों को पूरा करने की उसकी हर कोशिश नाकाम रही है। उधर, पाक दुनिया में आतंकवाद को लेकर बदनाम है। कई प्रतिबंध लगने वाले हैं। अर्थव्यवस्था बदहाल है। इन बुरे दिनों में पीएम इमरान खान पाक को एक शांति पसंद देश के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं। इससे इमरान की नजरों में पाकिस्तान में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार से उलट दुनिया में पाक की एक नई तस्वीर बनेगी।

धर्म की आड़ में अलगाव को हवा
इसका दूसरा पहलू भी समझने की जरूरत है। दरअसल, करतारपुर को लेकर सिखों में असीम आस्था है। ऐसे में गुरु नानक देव के 550वें प्रकाश पर्व पर करतारपुर कॉरिडोर को खोलने के फैसले से पाक सेना खालिस्तानी आतंक को हवा देने की कोशिश करेगी। पाक फौज और ISI की साजिश है कि धार्मिक भावनाओं का इस्तेमाल भारत विरोधी गतिविधियों के लिए किया जाए। करतारपुर पर पाकिस्तान सरकार द्वारा जारी विडियो में खालिस्तानी आतंकियों को दिखाना उसी का हिस्सा है। पाक विडियो में प्रतिबंधित खालिस्तानी समर्थक समूह ‘सिख फॉर जस्टिस’ का एक पोस्टर भी देखा गया, जो अपने अलगाववादी अजेंडे के तौर पर सिख जनमत संग्रह 2020 की मांग कर रहा है।

करतारपुर वाले जिले में भी आतंकी कैंप
इस बीच, खुफिया एजेंसियों को भारत से सटे पाकिस्तानी पंजाब के नारोवाल जिले में आतंकी गतिविधियों के बारे में जानकारी मिली है। इसी जिले में करतारपुर साहिब गुरुद्वारा स्थित है। करतारपुर कॉरिडोर खुलने से पहले इस तरह की जानकारी चिंता की बात है। खुफिया एजेंसियों से जुड़े सूत्रों का कहना है कि आतंकी कैंप पाकिस्तानी पंजाब के मुरीदके, शाकरगढ़ और नारोवाल में देखे गए हैं। खबर है कि यहां बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष कैंप में मौजूद हैं और ट्रेनिंग ले रहे हैं। यह कॉरिडोर भारतीय पंजाब के गुरुदासपुर जिले में स्थित डेरा बाबक नानक साहिब को पाकिस्तानी पंजाब के नारोवाल जिले के करतारपुर साहिब गुरुद्वारे को जोड़ेगा।

इमरान से पहले ही पाक सेना ने बनाया प्लान
भारत ने साफ कहा है कि वह करतारपुर की आड़ में आतंकवाद को बढ़ावा देने की पाकिस्तान की मंशा को पूरा नहीं होने देगा। सूत्रों के मुताबिक, सरकार करतारपुर गलियारे की आड़ में पड़ोसी देश की छिपी मंशा पूरी न होने देने के लिए हरसंभव कदम उठा रही है। सूत्रों का दावा है कि करतारपुर कॉरिडोर के रास्ते खालिस्तानी आतंक को भड़काने की योजना पाकिस्तानी सेना ने इमरान खान के शपथ लेने से पहले बना ली थी।

अब पाकिस्तान ने कॉरिडोर खुलने से ठीक पहले 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार में मारे गए जरनैल सिंह भिंडरावाले, शाहबेग सिंह समेत तीन आतंकियों को 'हीरो' की तरह दिखाकर सिख अलगाववाद को हवा देने की कोशिश की है। एक सूत्र ने कहा, 'पाकिस्तानी मुखौटा कई बार खिसक जाता है। पाक के विदेश मंत्री का गुगली वाला बयान याद रखिए। पाक के राष्ट्रपति ने इसे शतरंज की चाल बताया था। पाकिस्तान पंजाब में अलगाववादी भावनाएं भड़काना चाहता है। हम तो इस पहल को श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उठाए गए एक सकारात्मक कदम की तरह देख रहे हैं।'

9 नवंबर को कार्यक्रम में शामिल होंगे पीएममोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 9 नवंबर को करतारपुर साहिब गलियारा देश को समर्पित करेंगे। गुरु नानक देव का 550वां प्रकाश पर्व 12 नवंबर को मनाया जाएगा। पाकिस्तान की सीमा में आने वाले करतारपुर गुरुद्वारे में गुरु नानक देव ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष बिताए थे। भारत ने पाकिस्तान को पहले जत्थे में शामिल होने वाले 500 से अधिक श्रद्धालुओं की सूची भी दे दी है। आपको बता दें कि इस धार्मिक आयोजन को लेकर भारत और पाकिस्तान में भले ही कामकाज चल रहा हो पर दोनों देशों में कोई वार्ता नहीं हो रही है।

इससे पहले भी पाकिस्तान कभी शुल्क, श्रद्धालुओं की संख्या और वीजा, पासपोर्ट को लेकर चाल चलता रहा। करीब 1400 रुपये शुल्क लेने पर जब आलोचना हुई तो उसने उद्घाटन के दिन के लिए शुल्क की छूट दे दी।

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