करगिल से लेकर अब तक, पाकिस्तान नहीं खोज सका भारत के इस हथियार का तोड़

 
इस्लामाबाद

भारत-पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर भारी गोलीबारी जारी है। पीओके में भारतीय सेना की जवाबी कार्रवाई से बौखलाया पाकिस्तान लगातार हमले कर रहा है लेकिन भारत के सामने वह टिक नहीं पा रहा। दरअसल, भारत के पास एक ऐसा हथियार है जिससे उसने शुक्रवार को पीओके में आतंकी ठिकानों और पाक सेना की चौकियों, दोनों को उड़ा दिया। यह हथियार है बोफोर्स गन जो करगिल से लेकर अभी तक हर जंग में पाक पर भारी पड़ती आ रही है और पाकिस्तान अभी तक इसके जैसा कोई हथियार हासिल नहीं कर सका है।
लिया शहादत का बदला
भारतीय सेना ने शनिवार को पिछले दिनों शहीद हुए जवानों का बदला लेते हुए पहले आतंकी ठिकानों को धूल में मिला दिया। सेना यही नहीं रुकी। सूत्रों के मुताबिक सेना ने अपनी इस कार्रवाई के दौरान पाकिस्‍तानी सेना की तोपों और ठिकानों को भी निशाना बनाया, जहां से इन आतंकियों को घुसपैठ के लिए मदद मिलती है। इसके लिए बोफोर्स होवित्जर तोप का इस्तेमाल किया गया जिसने 1999 के करगिल युद्ध में भी पाकिस्तानी फौज के छक्के छुड़ा दिए थे।
 
मर्सिडीज बेंज का इंजन, नाक के नीचे से हमला
करगल युद्ध के दौरान पहली बार इसका इस्तेमाल सीधे गोलीबारी करने के लिए किया गया था। ऊंचाई और पहाड़ी इलाके में बोफोर्स की रेंज 35 किमी से ज्यादा की होती है। यह 12 सेकंड में 3 राउंड फायर कर सकती है। 90 डिग्री ऐंगल पर भी दुश्मन के ठिकानों को यह मिट्टी में मिला सकती है। इस वजह से यह दुश्मन की नाक के नीचे से उसके पोस्ट्स उड़ाने का माद्दा रखती है। इनमें मर्सिडीज बेंज का इंजन लगा होता है और कुछ दूरी पर यह खुद ही चल सकती हैं। फायर करने के बाद यह अपनी पोजिशन चेंज कर लेती हैं जिससे काउंटर फायर से भी खुद को बचा पाती हैं। पाकिस्तानी सेना के पास इस टक्कर का हथियार नहीं है।
 
इस हमले में भारत ने 155mm Bofors howitzers का भी इस्तेमाल किया। इस स्वदेशी हथियार को होवित्जर तोप या देसी बोफोर्स भी कहा जाता है। (फाइल फोटो)
​सियाचिन से रेगिस्तान तक कामयाब है बोफोर्स होवित्जर तोप
बोफोर्स होवित्जर तोपों को धनुष भी कहा जाता है। यह दूर तक (38 किलोमीटर) मार करती है। इसका वजन करीब 13 टन है, जिसे सियाचिन से तपते रेगिस्तान तक में टेस्ट किया गया है। इनका डिजाइन बोफोर्स जैसा है।
  
10 हजार फीट पर शहीद हुए थे 5 कमांडोज
कोरोना वायरस से लड़ाई के बीच भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया था। पिछले हफ्ते उसके आतंकियों ने बर्फबारी का फायदा उठाकर घुसपैठ की कोशिश की, जिन्हें सेना के वीर जवानों ने मार गिराया। स्पेशल फोर्स और आतंकियों के बीच यह लड़ाई (हैंड टु हैंड) बर्फ के बीच 10 हजार फीट पर कश्मीर के केरन सेक्टर में हुई, इसमें पांच आतंकी मार गिराए गए। लेकिन इसमें 5 जवान भी शहीद हो गए। ये जवान सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल रही 4 पैराशूट रेजिमेंट के थे।
​लगातार उकसा रहा था पाकिस्तान
पाकिस्तान के टेरर कैंप्स पर हमले की वजह उसका बार-बार उकसाना रहा। शुक्रवार सुबह करीब 11 बजे पाकिस्तान ने कुपवाड़ा के केरन सेक्टर पर सीज फायर का उल्लंघन किया। जिसका इंडियन आर्मी ने भी जवाब दिया। शाम करीब 6 बजे तक दोनों तरफ से फायरिंग होती रही। इंडियन आर्मी के मुताबिक इंडियन आर्मी ने लाइन ऑफ कंट्रोल के उस तरफ बने आतंकियों के लॉन्च पैड को निशाना बनाया। साथ ही आतंकियों के गोला-बारूद रखने की जगह को भी टारगेट किया।

आंतकी ठिकाना ध्वस्त
पिछले दिनों उत्तरी कश्मीर के केरन सेक्टर में एक आतंकवादी समूह और सुरक्षाबलों के बीच भीषण मुठभेड़ में सेना के स्‍पेशल फोर्सेस के 5 जवान शहीद हो गए थे। मुठभेड़ में पांच आतंकवादी भी मारे गए। इसकी जवाबी कार्रवाई में भारतीय सेना की तोपों ने पाकिस्‍तान अधिकृत कश्‍मीर में स्थित एक आतंकी ठिकाने को तबाह कर दिया। इसी आतंकी लॉन्‍च पैड से भारत में आतंकवादियों को भेजा जाता था और कई दिनों से इस पर भारतीय सेना की नजर थी।

ले डूबी थी राजीव गांधी सरकार
भारत सरकार और स्वीडन की हथियार निर्माता कंपनी एबी बोफोर्स के बीच 1,437 करोड़ रुपये का सौदा हुआ। यह सौदा भारतीय थल सेना को 155 एमएम की 400 होवित्जर तोप की सप्लाई के लिए हुआ था। करीब एक साल बाद स्वीडिश रेडियो ने दावा किया कि कंपनी ने सौदे के लिए भारत के वरिष्ठ राजनीतिज्ञों और रक्षा विभाग के अधिकारी को घूस दिए हैं। 60 करोड़ रुपये घूस देने का दावा किया गया। इसका खामियाजा कांग्रेस को 1989 के आम चुनाव में करारी हार के रूप में भुगतना पड़ा।
 

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