कमलेश तिवारी का गला काटकर वीडियो वायरल करना चाहते थे हत्यारोपी, देना चाहते थे ये चेतावनी

लखनऊ 
कमलेश की बेरहमी से हत्या करने वाले अशफाक और मोइनुद्दीन उर्फ फरीद से गुरुवार की सुबह जब पूछताछ शुरू हुई तो उन्होंने पुलिस को कुछ उलझाने की कोशिश भी की। हालांकि क्राइम ब्रांच, एटीएस और एसटीएफ ने जब कई कॉल डिटेल, मौलाना व साजिशकर्ताओं के बयानों का जिक्र किया तो सब टूटते चले गए। फिर दोनों ने हर सवालों का जवाब बिना रुके दिया। करीब छह घंटे तक लगातार चली 'इंट्रोगेशन'(पूछताछ) में कई ऐसे सच सामने आये जिनसे अब तक पुलिस रूबरू नहीं हो सकी थी। एटीएस और एसटीएफ सूत्रों के मुताबिक दोनों आरोपियों ने पूछताछ में काफी कुछ उगला ।

हत्या से पहले दरगाह गए
18 अक्तूबर की सुबह 10:38 पर जब दोनों लोग भगवा वेश में खुर्शेदबाग के लिये निकले थे तो रास्ते में एक दरगाह देखकर वह इबादत करने चले गए थे। फिर यहां से वह पता पूछते हुए कमलेश के घर की तरफ चल दिये थे। यहीं रास्ते में लाल कुर्ता पहने महिला मिली थी जिससे उन्होंने पता पूछा था। इस महिला ने भगवा कपड़े देखकर कहा था कि चलो, मेरे साथ चुनाव का प्रचार करो। महिला ने खुद को अल्पसंख्यक मोर्चा का पदाधिकारी बताया था।

गला काटकर वीडियो वायरल करना था
दोनों ने यह कहकर अफसरों को चौंका दिया कि उन्हें कमलेश का गला काटकर धड़ से अलग करना था। फिर इसे हाथ में लेकर वीडियो वायरल करना था। ऐसा कहकर वह लोगों को चेताना चाहते थे कि अब कोई टिप्पणी नहीं होनी चाहिये। पर, वहां घायल होने और पकड़े जाने के डर से पूरी तरह से गला नहीं रेत सके थे।

कमलेश का सुरक्षाकर्मी सो रहा था
अशफाक ने बताया कि जब वे लोग कमलेश के घर पहुंचे तो नीचे दफ्तर में उनका सुरक्षाकर्मी सो रहा था। नीचे कोई नहीं था। वह जीना चढ़ने लगे, तभी ऊपर से कर्मचारी सौराष्ट्र आ गया। उससे कमलेश ने पहले ही बता रखा था कोई आने वाला है। लिहाजा वह ऊपर बेरोकटोक चले गए। यहां उन्हें दफ्तर नुमा एक कमरे में बैठा दिया गया।

मिठाई डिब्बे में पिस्टल नहीं ले गए
अफशाक और मोइनुद्दीन ने बताया कि मेहमान बनकर कमलेश से मिलने गए थे। इसलिये वह लोग सूरत से मिठाई लेकर आये थे। इस बात को उन्होंने गलत बताया कि डिब्बे में पिस्टल व चाकू ले गए थे। उन्होंने बताया कि डिब्बे में आधा किलो मिठाई ही थी। अशफाक ने पिस्टल ले रखी थी साथ ही दोनों ने खुला चाकू पैंट में लगा रखा था। मिठाई के डिब्बे में रसीद निकालने के पीछे कोई वजह नहीं थी। वह तो चाहते ही थे कि उनका नाम सामने आये।

बात कम, फोन बहुत कर रहे थे कमलेश
हत्यारों ने बताया कि जब कमलेश उनसे मिलने कमरे में आये तो वह उनसे ठीक से बात नहीं हो पा रही थी। वे लोग बात शुरू करते, बीच में ही कभी उनके फोन आ जाते तो कभी वह फोन करने लगते थे। बीच-बीच में कई बार उन्होंने यह कहा कि काम बहुत बढ़ गया है। पार्टी का बड़ा सम्मेलन करना है। इससे वह लोग झुंझला भी रहे थे।

पहला वार गर्दन पर सामने से
अशफाक ने बताया कि गोली उसे ही चलानी थी। लिहाजा जब हमला किया तो पहले उन्हें अचेत करने के लिये चाकू से गर्दन पर सामने की ओर से सीधा वार किया। इससे उनकी चीख थोड़ी सी ही निकली। फिर मोइनुद्दीन ने मुंह दबाया और उसने गोली चलायी। यह गोली पहले मोइनुद्दीन के हाथ में लगी, फिर कमलेश के जा धंसी। इस दौरान कमलेश का गला भी रेता था। चाकू से उसका हाथ भी छिल गया था।

चौराहे पर खरीदा मरहम
चोट लगी होने की वजह से दोनों लोगों ने चोटिल हाथ को जेब में डाला और चौराहे की तरफ भाग निकले। चौराहे पर ही एक मेडिकल स्टोर से अशफाक ने डेटॉल, मरहम-पट्टी खरीदी। यहां से होटल गए और कपड़े बदल कर 16 मिनट में 'चेक-आउट' किये बिना बाहर आ गए।

लखनऊ में समर्पण करना था
अशफाक ने बताया कि बरेली जाना उनके प्लान में नहीं था। उन्होंने कहा था कि वह सबको जताना चाहते थे कि जो भी उनकी धार्मिक भावना को ठेस पहुंचायेगा, उसे खत्म कर दिया जायेगा। यही वजह थी कि वह हर जगह अपनी असली आईडी ही लगा रहे थे। वारदात के बाद उन्होंने लखनऊ में मीडिया के सामने अथवा किसी थाने में समर्पण करने की योजना बना रखी थी। पर, हमले में घायल हो जाने की वजह से उन्हें लगा कि अब समर्पण किया तो इलाज भी नहीं कराया जायेगा। इसके बाद ही उन्होंने नागपुर में आसिम अली और सूरत में रशीद से बात की तो उन्हें बरेली जाने को कहा गया। आसिम ने हर मदद दिलाने की बात कही थी।

चार लोग थे निशाने पर
अशफाक ने बताया कि हिन्दू समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कमलेश तिवारी के अलावा यूपी अध्यक्ष गौरव गोस्वामी, सूरत के ही एक नेता और लखनऊ में विवादित बयान देने वाले उसके संप्रदाय के ही एक व्यक्ति निशाने पर थे।

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