कमलनाथ के पुत्र नकुलनाथ को जिताने बिग्रेड तैयार, इन कंधोंं पर अहम जिम्मेदारी

छिंदवाड़ा
छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र पर इस बार सबकी नजरें टिकी हैं। मुख्यमंत्री कमलनाथ इस सीट पर 9 बार से सांसद रहे हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंंने वह अब सांसद की दौड़ से बाहर हो गए हैं। इस सीट पर अब उनके पुत्र नकुल नाथ के चुनाव लड़ने की प्रबल संभावना है। महज ओपचारिक घोषणा होना बाकी है। लेकिन कमलनाथ की चुनाव मैनेजमेंट की टीम अभी से उनके बेटे के लिए जीत की रणनीति तैयार करने में जुट गई है। नाथ के खास सिपाहसलारों के कंधों पर अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

मोहम्मद ईदरीस हमजा 1989 से कमलनाथ के साथ हैं। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में जब कमलनाथ के सामने प्रहलाद पटेल ने चुनाव लड़ा तो ईदरीस को चौरई विधानसभा की जिम्मेदारी मिली। छिंदवाड़ा लोकसभा की यह विधानसभा सीट ज्यादा संवेदनशील थी। और चुनाव भी तलवार- बंदूक की नौक पर बाहुबली द्वारा लड़ा जा रहा था। सर्वे में यह सीट पूरी तरह से कमलनाथ हार रहे थे, लेकिन ईदरीस के बूथ मैनेजमेंट के चलते 17 हजार वोटों से यह सीट जीती। हमजा को 2009 में फिर लोस चुनाव में अमरवाड़ा विधानसभा क्षेत्र सौंपा गया। यह वो सीट थी जिस पर कांग्रेस 38 साल से हारती आ रही थी। हमजा के मैनेजमेंट के बाद पहली बार यह सीट कांग्रेस जीत पाई। दो विधासभा सीट के रिजल्ट के बाद कमलनाथ ने 2014 में छिंदवाड़ा की सभी विधानसभा सीटों की जिम्मेदारी हमजा को सौंपी जिसके बाद उन्होंने जिम्मेदारी को बखूबी निभाते हुए जीत दिलाई। 

उलझन वाली जगहों पर जीत के लिए हमेशा संकट मोचन की भूमिका में तैयार रहते हैं। भौगालिक और सांस्कृतिक क्षेत्रों की पकड़ की वजह से हमजा को पर्यटन निगम का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चा का बाजार गरम है। सियासी गलियारों में हमजा कमलनाथ के दत्तक पुत्र के रूप में भी जाने जाते हैं। वर्तमान में हमजा को कांग्रेस प्रदेश का सचिव बनाया गया है। हमजा 1993 से कमलनाथ विचार सद्भावना मंच भी चला रहे हैं जिसके सोशल मीडिया पर 5 लाख से ज्यादा फॉलोअवर हैं। हमजा के बेटे साद ईदरीस भी कमलनाथ की युवा ब्रिगेड को लीड कर रहे हैं। इस चुनाव में भी उन्हें फिर से छिंदवाड़ा विजय की जिम्मेदारी मिलेगी।
 
मोहम्मद सलीम पिछले 30 साल से कमलनाथ के साथ काम कर रहे हैं। हर मौके पर कमलनाथ के साथ काम करने को तैयार रहते हैं। ये पूर्व में जिला कांग्रेस अध्यक्ष, बीडीए अध्यक्ष, प्रदेश सचिव और अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रहे हैं। वर्तमान में अभी प्रदेश कांग्रेस के महासचिव हैं। सियासी गलियारों में इन पर मेफ समाज की राजनीति के आरोप लगते रहे हैं। बताया जाता है कि ये आॅल इंडिया मेफ विकास परिषद के भी अध्यक्ष हैं। लोकसभा 2019 के चुनाव में कांग्रेस को जीत दिलाने के लिए मोहम्मद सलीम पूरी तरह तैयार हैं। इन तीन पुराने सिपहसालार के अलावा भी कई और भी कमलनाथ के खास होने के दावे कर रहे हैं। वे इस कमनाथ के साथ ज्यादा नजदीक हैं। हालांकि कमलनाथ जानते हैं कि चुनाव में कौन ज्यादा महनत करेगा।

पिछले 20 साल से सक्रिय हैं। छात्रराजनीति से ही ये कमलनाथ के साथ जुड़ गए हैं। चुनाव की जिम्मेदारी इनके कंधों पर भी समयांतर आती है। कांग्रेस के कुछ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं के मुताबिक जकी पूर्व मेें कमलनाथ से पहले बीआर यादव, रसूल अहमद सिद्धिकी और सज्जन सिंह वर्मा के भी करीबी रह चुके हैं। बीते सालों से अब ये कमनाथ के सिपहसालार बने हुए हैं। जकी जब प्रदेश सचिव थे तब उन्हें प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव ने निलंबित किया था। जकी के खिलाफ राजनीतिक आंदोलन के एक मामले में अदालत से सजा होने के बाद उन्हें निलंबित किया गया था। 

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