कब्रिस्तान की नई जमीन के लिए आपत्ति का निराकरण कर आगे बढ़ाई जाए प्रक्रिया

भिलाई
मुस्लिम कब्रिस्तान इंतेजामिया कमेटी भिलाई का एक प्रतिनिधिमंडल सोमवार को नगर पालिक निगम भिलाई के महापौर-विधायक देवेंद्र यादव, आयुक्त व महापौर परिषद सदस्यों से मिला तथा कब्रिस्तान की नई जमीन के लिए आपत्ति का तत्काल निष्पक्ष तौर पर निराकरण कर आवंटन प्रक्रिया आगे बढ़ाने के संबंध में ज्ञापन सौंपा। सदस्यों ने मांग की कि नगर पालिका निगम व जिला प्रशासन मानवीय संवेदना व मुस्लिम समुदाय की परेशानी को ध्यान में रखते हुए जनहित में तत्काल इस मामले का निराकरण करे।

सदस्यों ने बताया कि कमेटी ने तत्कालीन कलेक्टर व तब के राजस्व मंत्री को ज्ञापन सौंप कर कुरूद में खसरा नं.1475/1,1475/2 रकबा 5,700 हेक्टेयर सरकारी भू अभिलेख में अंकित घास जमीन और कब्रिस्तान के लिए आरक्षित इस भूमि को मुस्लिम कब्रिस्तान के लिए प्रदान करने की मांग की गई थी। इसके बाद सरकारी प्रक्रिया आगे बढ़ी और नगर पालिका निगम आयुक्त भिलाई को छोड़कर सभी संबंधित शासकीय विभागों ने भूमि आवंटन हेतु अपना-अपना अभिमत न्यायालय अतिरिक्त तहसील भिलाई को प्रस्तुत कर दिया था। इसके बाद 22 सिंतबर 2018 को महापौर परिषद की बैठक अभिमत देने रखी गई थी लेकिन वार्ड पार्षद सुशीला देवांगन ने आपत्ति दर्ज कराई थी। सदस्यों ने मांग की है कि पार्षद की आपत्ति का जल्द से जल्द निष्पक्ष निराकरण सदस्यों ने कहा कि 21 माह बीत जाने के बाद भी अब तक इस पर चर्चा नहीं हुई। जबकि इस अवधि में दर्जनों बार विभिन्न विषयों को लेकर महापौर परिषद की बैठक हो चुकी है।

मुस्लिम कब्रिस्तान की नई जमीन की मांग का मामला मुस्लिम समाज के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। सदस्यों ने बताया कि मुस्लिम समुदाय दो दशक पहले विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण (साडा) के जमाने से कब्रिस्तान के लिए नई जमीन की मांग कर रहा है। जनप्रतिनिधियों के आश्वासन व जिला प्रशासन के आला अधिकारियों के आश्वासन के अनुरूप भी अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया। जिसका खामियाजा मुस्लिम समुदाय के गमगीन परिजनों को उठाना पढ़ रहा है। सदस्यों ने बताया कि नगर पालिक निगम भिलाई और नवगठित नगर पालिका निगम रिसाली की सीमा के अंतर्गत तीन विधान सभा वैशाली नगर, भिलाई नगर और दुर्ग ग्रामीण की शहरी आबादी के लाखों मुस्लिम परिवारों के लिए अपने मृत परिजनों को दफ्न करने एकमात्र मुस्लिम कब्रिस्तान रामनगर कैम्प-1 में है, जो पूरी तरह कब्र से पट चुका है।

सदस्यों ने बताया कि मौजूदा रामनगर कब्रिस्तान भिलाई इस्पात संयंत्र की स्थापना के दौर में छह दशक पहले का है। तब बीएसपी ने यहां 5 एकड़ जमीन दी थी। इस दौर में मुस्लिम समुदाय की आबादी बहुत कम हुआ करती थी। वक्त के साथ शहर का विस्तार और शहर की आबादी में स्वाभाविक तौर पर बढ़ोत्तरी हुई है। मुस्लिम समुदाय की जनसंख्या व शहर की बसाहट फैली होने के कारण रिसाली, धनोरा, मरोदा, रूआबांधा और दूसरी तरफ जुनवानी, खम्हरिया और खपरी आदि क्षेत्र में मुस्लिम परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु हो जाने पर तकरीबन 7-8 किमी की दूरी तय करके परिजनों को रामनगर कब्रिस्तान कैम्प-1 पहुंचना पड़ता है। जो काफी तकलीफदेह होता है। साथ ही शहर भी अब दो भागों में बंट चुका है।

टाउनशिप एरिया सहित रिसाली निगम क्षेत्र और खम्हरिया, खपरी, जुनवानी, कोहका, कुरूद, नेहरू नगर, सुपेला, कैम्प-1 व 2, खुसीर्पार, हथखोज व घासीदास नगर क्षेत्र शामिल हैं। मुस्लिम कब्रिस्तान में बार-बार कब्रों को पलटा जा रहा है, जिसके कारण मानव कंकाल निकलने लगता है। यह मृतकों के परिजनों के लिए बहुत बड़ी त्रासदी है। सदस्यों ने विधायक-महापौर देवेंद्र यादव सहित नगर पालिका निगम से मांग की है कि इस विषय पर गंभीरता पूर्वक विचार कर तत्काल महापौर परिषद में निर्णय लें, जिससे कि मुस्लिम समुदाय को राहत मिले। प्रतिनिधिमंडल में कब्रिस्तान इंतेजामिया कमेटी के सदर शमशीर कुरैशी, अब्दुल वहीद, निजामुद्दीन खान, अमीर अहमद, मोहम्मद राशिद, अमीन, शम्मी अशरफी, उस्मान अली और मिर्जा मुकीम बेग शामिल थे।

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