ऑफ द रिकार्ड: मुद्रा लोन योजना बना बैंकों का सिरदर्द

नई दिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मुद्रा की शान में जब संसद में कसीदे पढ़े जा रहे थे तब उसी दौरान इस योजना से जुड़े कुछ हैरान करने वाले तथ्य भी सामने आए हैं। ये तथ्य स्वयं मंत्री द्वारा दिए गए हैं जो दिखाते हैं कि अब यह मुद्रा योजना किस तरह से बैंकों को लील रही है।  सरकार ने इस योजना के माध्यम से 3 साल में 15.26 करोड़ के लोन व्यक्तिगत व 7.24 लाख करोड़ का लोन कंपनियों को दिया। इनमें से 13.75 करोड़ लोन खाते शिशु लोन की श्रेणी में आते हैं। इन शिशु लोन खातों ने करीब 6.66 लाख करोड़ का लोन फंसा लिया है जो कि कुल लोन का 90 फीसदी है। 
इस योजना के तहत 50 हजार तक के लोन को शिशु लोन में रखा गया है। पी.एम.ओ. से निर्देश हैं कि इस तरह के लोन के लिए कोई गारंटी न ली जाए। ये सभी 13.75 करोड़ शिशु लोन या तो नए खाता धारकों के हैं या पहले से ही स्थापित उद्यमियों के हैं जो अपना नया कारोबार करना चाहते थे। ये सभी लोन 8 अप्रैल 2015 से लेकर 21 दिसम्बर 2018 के बीच दिए गए हैं। 
 

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