ऑनलाइन खरीदते हैं फोन तो इन 9 बातों पर न करें भरोसा

फ्लैश सेल और लुभावने डिस्काउंट ऑफर्स की वजह से नया स्मार्टफोन खरीदने के लिए ज्यादातर यूजर्स अब ई-कॉमर्स साइट का रुख करने लगे हैं। हालांकि, अपने लिए सही स्मार्टफोन चुन पाना आसान नहीं होता और इस प्रक्रिया में कई बार यूजर्स झांसे में आ जाते हैं। पहले जहां स्मार्टफोन खरीदने के लिए यूजर्स रीटेल स्टोर्स में जाकर उसके स्पेसिफिकेशंस पता करते थे, अब ज्यादातर यूजर्स नए डिवाइस के स्पेसिफिकेशंस और बाकी फीचर्स फोन खरीदने के बाद ही पहली बार टेस्ट कर पाते हैं। ऐसे में टेक वेबसाइट्स और सोशल मीडिया का स्मार्टफोन खरीदने वाले यूजर्स पर असर होता है और वह डिवाइस से जुड़ी रिसर्च करने यूट्यूब और टेक प्लैटफॉर्म्स पर जाता है। ऑनलाइन दिखने वाली हर बात पर भरोसा नहीं किया जा सकता। अगर आप सही स्मार्टफोन खरीदना चाहते हैं तो इन बातों पर भरोसा ना करना ही बेहतर है,

सिलेब्रिटी पोस्ट्स पर न करें भरोसा

सोशल मीडिया वेबसाइट्स और इंस्टाग्राम जैसे ऐप्स पर पॉप्युलर इन्फ्युएंसर्स और सिलेब्स की ओर से किसी स्मार्टफोन के साथ किए जाने वाले ज्यादातर पोस्ट पेड होते हैं। मार्केटिंग टीम्स के लिए इंस्टाग्राम ऐसा पसंदीदा प्लैटफॉर्म है, जहां नए डिवाइस को एडवर्टाइज किया जा सकता है। आपके पसंदीदा सिलेब्रिटी के हाथ में दिखने वाला डिवाइस खरीद लेना सही फैसला नहीं होता क्योंकि जरूरी नहीं है कि सिलेब्रिटी वाकई वह डिवाइस इस्तेमाल कर रहा हो। ऐसे कई पोस्ट सिलेब्स की ओर से किए जाते हैं, जिनमें से ज्यादातर में डिवाइस केवल साइड में रखा होता है। इसका अलावा कुछ सिलेब्स किसी फोन के कैमरा या बाकी फीचर्स की तारीफ करते हुए विडियो पोस्ट करते हैं, इनपर भरोसा न करें।

ई-कॉमर्स साइट्स पर मिलने वाले रिव्यू

किसी डिवाइस को ई-कॉमर्स साइट पर मिलने वाले रिव्यू पर भी आंख मूंदकर भरोसा नहीं किया जा सकता। कई ब्रैंड्स इन साइट्स पर पेड रिव्यू करवाते हैं और नेगेटिव रिव्यू हाइड कर देते हैं।

 

बेंचमार्क टेस्ट रिजल्ट्स

एक बिल्कुल नया फोन शुरुआत में टॉप परफॉर्मेंस और बैटरी रिजल्ट्स दिखाता है। हालांकि, जितना ज्यादा आप किसी डिवाइस को इस्तेमाल करेंगे, ये बेंचमार्क स्कोर कम होता दिखेगा। इसके अलावा कई ब्रैंड्स डिवाइस के बेंचमार्क स्कोर के साथ छेड़छाड़ करते हैं। बेंचमार्क टेस्ट रिजल्ट्स पर फोन खरीदते वक्त फोकस नहीं किया जा सकता।

फोन के मार्केट शेयर और शिपमेंट रिपोर्ट

कई यूजर्स की आदत स्मार्टफोन का मार्केट शेयर और शिपमेंट देखने की होती है क्योंकि उन्हें लगता है कि ज्यादा बिकने वाला स्मार्टफोन ही सबसे अच्छा होगा। जरूरी नहीं है कि किसी कंपनी के टॉप 5 में होने पर उसके प्रॉडक्ट्स बेस्ट हों। ध्यान रहे कि आप केवल एक हैंडसेट खरीदने वाले हैं और कंपनी के शेयर से इसके फीचर्स का कोई लेना-देना नहीं है। ऐपल भारत में कभी टॉप 5 ब्रैंड्स की लिस्ट में नहीं रहा लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं है कि आईफोन खरीदना गलत फैसला होगा।

DxOMark कैमरा रेटिंग

ब्रैंड्स अपने स्मार्टफोन्स के कैमरा को बेहतर बताने और यूजर्स को इस बात का यकीन दिलाने के लिए अक्सर DxOMark रेटिंग को हाइलाइट करते हैं। हो सकता है कि किसी डिवाइस के कैमरा ने लैब में बेस्ट रिजल्ट्स दिए हों लेकिन रियल लाइफ में इसकी कैमरा परफॉर्मेंस बिल्कुल अलग हो सकती है।

की-यूएसपी पर न करें गौर

आप जिस स्मार्टफोन को खरीदने जा रहे हैं, कंपनी की ओर से ऐड में बताए जा रहे उसके यूएसपी (यूनीक सेलिंग पॉइंट) पर ही गौर न करें। आप पूरे डिवाइस को एक प्रॉडक्ट के तौर पर खरीदने वाले हैं, इसलिए किसी एक फीचर के बेहतरीन होने से काम नहीं चलेगा। कोई डिवाइस इसलिए न खरीद लें क्योंकि केवल उसका कैमरा बहुत अच्छा है या उसमें लंबा बैटरी बैकअप मिल रहा है, आपको सभी फीचर्स बैलेंस्ड चाहिए।

फ्लैश सेल का हाइप

कोई भी ब्रैंड अपनी फ्लैश सेल का सही फिगर नहीं बताता। सेल में कंपनी केवल 10 यूनिट्स भी ला सकती है और 1000 यूनिट्स या 10,000 यूनिट्स भी। ऐसे में नहीं समझना चाहिए कि फ्लैश सेल में फटाफट डिवाइस बिक जाने की वजह उसकी बहुत ज्यादा डिमांड है। हो सकता है कि कंपनी ने बहुत कम यूनिट्स ही सेल के लिए उतारी हों।

 

ड्यूरेबिलिटी टेस्ट

बाकी फीचर्स की तरह ही ब्रैंड्स अपने डिवाइस की मजबूती दिखाने के लिए भी कई तरह के एक्सपेरिमेंट्स करती हैं। कई विडियो दिखते हैं, जिनमें किसी डिवाइस से अखरोट फोड़ा गया तो दूसरे को ऊंचाई से गिराने पर भी कोई नुकसान नहीं हुआ। याद रखें कि सभी ग्लास फोन टूट सकते हैं और बिना IP68 रेटिंग वाले किसी डिवाइस को भीगने पर इस्तेमाल करना सेफ नहीं है।

ब्रैंड्स सीईओ और वर्कर्स के दावे

ट्विटर पर स्मार्टफोन ब्रैंड्स के सीईओ भी आजकल मार्केटिंग में शामिल हो गए हैं। उनकी ओर से सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावों और पोस्ट्स पर भरोसा न करें। हाल ही में लॉन्च हुए फोन के फोटो सैंपल शेयर करने वाले सीईओ वही डिवाइस इस्तेमाल कर रहे हों, ऐसा जरूरी नहीं है।

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