ऐतिहासिक मेडल जीतने वाले साई प्रणीत से गुरु गोपीचंद ने कहा- इस पल का आनंद लो

नई दिल्ली 
वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के बाद बी साई प्रणीत ने कहा, 'मेडल का अहसास शानदार है और इसका आनंद लेना बाकी है।' युवा शटलर ने अपनी ऐतिहासिक सफर के बारे में बात करते हुए कहा, 'उनके (प्रकाश पादुकोण) साथ मेरा नाम आना मेरे लिए सम्मान की बात है। जब टूर्नमेंट शुरू हुआ तो मैंने खुद से वादा किया कि मुझे सेमीफाइनल में पहुंचना है। यही मेरा पहला लक्ष्य था। दुर्भाग्य से मैं केंटो मोमोता से हार गया। मुझे अभी लंबा सफर तय करना है और इसके लिए कठिन परिश्रम करूंगा। पोडियम पर मेडल के साथ खड़ा होने के अहसास को मैं बयां नहीं कर सकता। यह अद्भुत था। पूरी दुनिया आपको देख रही थी।' 

केंटो मोमोता के खिलाफ मुकाबले के बारे उन्होंने कहा, 'मैं जानता हूं यह मैच कड़ा होने वाला है, लेकिन मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहता था। मैं केंटो के साथ पहले भी खेल चुका हूं, लेकिन वह इस मैच में अगल ही तरह से खेले।' 27 वर्षीय शटलर ने कहा, 'मेडल का अहसास शानदार है और इसका आनंद लेना बाकी है। मैं अपने खेल से खुश हूं। सच में मैंने काफी मेहनत की थी। जब आपका परिश्रम दिखता है तो सुखद अहसास होता है।' 

क्या कहा गुरु गोपीचंद ने? 
इस जीत के बाद गुरु पुलेला गोपीचंद ने उनसे क्या कहा? इस बारे में उन्होंन बताया, 'सर (पुलेला गोपीचंद) मेरे साथ हमेशा थे। मेडल मिलने के बाद उन्होंने मुझे गले लगाया और मेरी तस्वीरें लीं। उन्होंने मुझे बधाई दी और तारीफ की और कहा- इस क्षण का आनन्द लें। वह बहुत खुश थे। मैं खुश हूं, क्योंकि वह खुश हैं (हंसते हुए)।' उल्लेखनीय है कि प्रणीत ने इस टूर्नमेंट में ब्रॉन्ज जीता तो महिला शटलर पीवी सिंधु ने नोजोमी ओकुहारा को हराकर ऐतिहासिक गोल्ड मेडल अपने नाम किया। वह वर्ल्ड चैंपियनशिप जीतने वाली पहली भारतीय बनीं। प्रणीत ने सिंधु की तारीफ की। उन्होंने कहा, 'सिंधु अद्भुत थीं। गोल्ड मेडल जीतना आसान नहीं होता है। जिस तरह वह टूर्नमेंट खेलीं वह शानदार रहा।' 

36 वर्ष बाद मिला मेडल 
बी साई प्रणीत का का शानदार सफर सेमीफाइनल में समाप्त हुआ था। उन्हें केंटो मोमोता से हार मिली थी। 41 मिनट तक चले मुकाबले में वह जापान के नंबर एक खिलाड़ी से 13-21 और 8-21 से हार गए। इस हार के बावजूद प्रणीत ने शानदार उपलब्धि अपने नाम की। वह इस हार के बाद भी 36 साल में इस प्रतिष्ठित टूर्नमेंट में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष खिलाड़ी बने। प्रकाश पादुकोण ने 1983 चरण में विश्व चैंपियनशिप के पुरुष एकल में कांस्य पदक हासिल किया था। 

ऐसा रहा था मैच 
पहले गेम में प्रणीत ने अच्छी शुरुआत कर 5-3 की बढ़त बनाई, लेकिन मोमोता ने ब्रेक तक इसे 11-10 कर दिया। जल्द ही चार अंक जुटाकर 15-10 से आगे हो गए। प्रणीत ने इसके बाद कई अनफोर्स्ड गलतियां की, जिससे मोमोता ने अंतर 18-12 कर दिया। प्रणीत की गलती से जापानी खिलाड़ी ने पहला गेम अपने नाम किया। दूसरे गेम में दोनों 2-2 की बराबरी पर थे, लेकिन भारतीय खिलाड़ी मोमोता के तेज तर्रार शॉट का जवाब नहीं दे सका और 2-9 से पीछे हो गया। ब्रेक तक मोमोता 11-3 से आगे थे। उन्होंने जल्द ही इसे 15-5 कर दिया। प्रणीत के बैकहैंड से मोमोता ने 19-8 बढ़त बना ली और जल्द ही जीत हासिल की। 

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