एनडीए को बिहार में सत्तासीन करने में जेटली की थी अहम भूमिका

पटना
वर्ष 2005 में बिहार में एनडीए को सत्तासीन करने में भाजपा के कद्दावर नेता अरुण जेटली की अहम भूमिका रही थी। वे तब बिहार भाजपा के प्रभारी थे। फरवरी, 2005 में स्पष्ट बहुमत नहीं आया तो नवम्बर में उन्होंने हर छोटी-बड़ी बातों पर ध्यान देकर चुनावी रणनीति बनाई। न केवल भाजपा बल्कि एनडीए के साझेदार दल जदयू के नेताओं के साथ तालमेल कर चुनावी मैदान में उतरने की रणनीति तय की। किसी अदना कार्यकर्ता को भी नाराज नहीं करना उनकी विशिष्ट शैली थी।

बिहार में भाजपा को सत्ता तक पहुंचाने के कारण जेटली का यहां के प्रति विशेष लगाव आजीवन बना रहा। पार्टी नेता कहते हैं कि राजद के शासन के खिलाफ वे पूरी रणनीति बनाया करते। कई दिनों तक बिहार में रहते। उस समय बिहार भाजपा की कमान सुशील मोदी तो जदयू की कमान बिजेन्द्र यादव के हाथों में थी। सीएम नीतीश कुमार के साथ आत्मीय संबंध रखने वाले जेटली की हमेशा कोशिश रही कि एक भी सीट पर विवाद न हो। जिस दल की जीत की अधिक संभावना रहती, तर्क के साथ उस पर बात करते। लगता कि भाजपा के बजाए जदयू की जीत हो सकती है, तो सहर्ष उसे स्वीकार करते। लेकिन अगर किसी सीट पर लगता कि भाजपा जीत सकती है तो तर्क के साथ उस पर अपना हक भी जताते।

पार्टी बैठकों में अक्सर अरुण जेटली कहा करते थे कि बिहार राजनीतिक रूप से अधिक जागरूक है। यहां का बच्चा-बच्चा राजनीतिक रूप से सक्रिय है। इसलिए जब एनडीए की चुनावी रणनीति तय होती तो वे इस बात पर जोर देते कि वैसे मुद्दों को जनता में ले जाया जाए जो सीधे लोगों के मन-मस्तिष्क को प्रभावित करे। एनडीए साझेदारों को हमेशा साथ बनाए रखने की कोशिश करते। हालिया लोस चुनाव में जब लोजपा के साथ सीटों को लेकर बात न बनी तोजेटली ने रामविलास से बातचीत कर मामले को सलटाया।

जीएसटी की लगभग 20 बैठक में शामिल होने वाले मंत्री बिजेन्द्र प्रसाद  कहते हैं कि जब जीएसटी को लेकर बैठक शुरू हुई तो उस समय देश में भाजपा की सरकार छह-सात राज्यों में ही थी। जीएसटी काउंसिल की 20 बैठकें हुईं, लेकिन एक में भी वोटिंग की नौबत नहीं आई। तर्कपूर्ण बात करते और कांग्रेस शासित राज्यों के नेताओं से भी उस पर सहमति लेते।

मंत्री नंद किशोर यादव ने कहा कि जेटली जी की अन्य आदतों में से एक यह भी थी कि वे खिलाने के शौकीन थे। जब भी बिहारी नेताओं से मिलते, अपने घर पर रात में बुलाते।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी सहित बिहार के कई नेता उनके साथ रात का खाना दर्जनों बार खा चुके हैं। मेहमानों की रुचि के अनुसार वे खाना खिलाया करते। जब भी बात होती तो वे बिहार और बिहारियों की चिंता करते।

प्रदेश जदयू के अध्यक्ष बशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जेटली के निधन से एक बड़े व्यक्तित्व का अंत हुआ है, जिसकी भरपाई संभव नहीं है। उद्योग मंत्री श्याम रजक, श्रवण कुमार, नरेन्द्र नारायण यादव, संजय कुमार सिंह, रवीन्द्र प्रसाद सिंह, मृत्युंजय सिंह, राजीव रंजन प्रसाद,  प्रो. गुलाम गौस, प्रो. रणवीर नंदन, रंजीत कुमार झा, नवीन आर्य, अनिल कुमार, नन्दकिशोर कुशवाहा, विद्यानन्द विकल, अरविंद निषाद, अरविंद कुमार उर्फ छोटू सिंह ने, अभय कुशवाहा, ओमप्रकाश सेतु, डॉ. एलबी सिंह डॉ. मधुरेन्दु पाण्डेयने भी शोक जताया है।

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