एडमिशन के बाद सीट छोड़ी ताे देना होगा 30 लाख रु. दंड

 इंदौर
 प्रदेश के सरकारी, निजी मेडिकल व डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस व बीडीएस की सीटाें के लिए प्रवेश प्रक्रिया शुरू हो चुकी है, लेकिन इस बार छात्र काे प्रवेश के बाद सीट छाेड़ना भारी पड़ सकता है। राज्य सरकार ने आवंटन के बाद सीट छोड़ने पर (सीट लिविंग बॉन्ड) आर्थिक दंड तीन गुना कर दिया है।

अब बंधपत्र के तहत छात्र काे 30 लाख रुपए जमा करवाना होंगे। पिछले वर्ष यह राशि 10 लाख रुपए थी। यह राशि कॉलेज के स्वशासी समिति के खाते में जमा होगी। राशि जमा करवाने के बाद ही छात्र काे मूल दस्तावेज लौटाए जाएंगे।

चिकित्सा शिक्षा विभाग काउंसलिंग के दौरान सीट आवंटन के समय छात्रों से बंधपत्र भी भरवाता है। यदि कोई छात्र प्रवेश लेने के बाद सीट छोड़ दे तो उससे यह रकम वसूली जाती है। पहले सीट लिविंग बॉन्ड 5 लाख था। 2017 में इसे बढ़ाकर 10 लाख कर दिया गया।

अब इसे 30 लाख किया जा रहा है। कोई भी छात्र काउंसलिंग के अंतिम चरण के आखिरी दिन, पढ़ाई के दौरान सीट छोड़ता है तो उसे निष्कासित कर आर्थिक दंड वसूला जाएगा। इसके पूर्व तक सेवारत उम्मीदवारों को ही 30 लाख का बांड भरवाया जाता था। अधिकारियों के मुताबिक ऑल इंडिया और राज्य कोटा के छात्रों के लिए अलग-अलग मेरिट लिस्ट तैयार होती है। इसी आधार पर छात्र अलग-अलग राज्यों में शुल्क जमा करवाकर सीट आवंटित करवा लेते हैं। अपने पसंद का कॉलेज मिलने के बाद सीट छोड़ देते हैं। जिसके कारण सीट खाली रह जाती थी।

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इस शैक्षणिक सत्र से शुल्क में भी वृद्धि कर दी है। एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले छात्र को एक लाख 14 हजार प्रति वर्ष शुल्क देना होेेगा। पिछले वर्ष शुल्क 68 हजार प्रति वर्ष था।  मुख्यमंत्री मेधावी छात्र योजना सहित अन्य श्रेणी के छात्रों को का शुल्क 14 हजार शुल्क प्रतिवर्ष है। हालांकि इन छात्रों को पांच साल की ग्रामीण क्षेत्र में सेवा का बैंक गारंटी बांड भरना पड़ता है।

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