एक समय जोगी लिखते थे सोनिया गांधी का भाषण

रायपुर
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन  से उनके समर्थक काफी दुखी हैं। अजीत जोगी के जीवन काल पर नजर डालें तो पता चलता है कि उन्होंने कई रोल निभाए। अजीत जोगी (Ajit Jogi) ऐसे शख्स रहे जिनका नाम ना केवल राजनीति में बल्कि प्रशासनिक क्षेत्र में भी खूब रहा है। आदिवासी समाज से आने वाले अजीत जोगी शुरुआत से पढ़ने में मेधावी रहे।

भोपाल से मैकेनिकल इंजीनियरिंग करने के बाद रायपुर के कॉलेज में कुछ दिन पढ़ाने की नौकरी किया। इसी दौरान उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने की ठानी। 1968 में यूपीएससी की परीक्षा पास की और IPS बने। इससे उनका मन नहीं भरा। उन्होंने दोबारा तैयारी शुरू की और 1970 में यूपीएससी में टॉप टेन स्थान लाकर आईएएस बने।

लंबे समय तक इंदौर के जिला कलेक्टर रहे जोगी
उस दौर में अजीत जोगी लंबे समय तक इंदौर के जिला कलेक्टर रहे। खास बात यह है कि जोगी आदिवासी समाज से होने के बावजूद सामान्य वर्ग से यूपीएससी की परीक्षा पास की थी। इंदौर के जिला कलेक्टर रहने के दौरान ही वे मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के करीब आए।

शनिवार को अंतिम संस्कार
अजीत जोगी के बेटे अमित जोगी ने ट्विटर पर पूर्व सीएम की मौत की खबर की पुष्टि की। उन्होंने यह भी बताया कि अंतिम संस्कार शनिवार को अजीत जोगी के जन्मस्थान गोरैला में होगा।

सीएम बघेल, रमन सिंह ने जताया दुख
अजीत जोगी (Ajit Jogi) के निधन पर राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दुख जताया है। बघेल ने ट्विटर पर लिखा कि जोगी की मृत्यु प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है।

अर्जुन सिंह की सलाह पर राजनीति में लांच हुए जोगी
अर्जुन सिंह की सलाह पर ही 1980 के दशक में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने अजीत जोगी को राजनीति में लॉन्च किया। अजीत जोगी कभी भी खास जनाधार वाले नेता नहीं रहे, लेकिन उनकी कुशल प्रशासनिक क्षमता और गांधी परिवार से नजदीकी की वजह से मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और देश की राजनीति में एक अलग ही हनक रही। माना जाता है कि अर्जुन सिंह ने अजीत जोगी को राजनीति की सारी बारीकियां सिखाई थीं। हालांकि एमपी के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से अजीत जोगी की कभी भी नहीं पटी।

जोगी का नाम और बदनामी साथ-साथ चला
अजीत जोगी के राजनीतिक जीवन की खास बात यह रही कि उनके नाम के साथ बदनामी भी साथ-साथ चला। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी जब राजनीति में लॉन्च हो रही थीं तब अजीत जोगी ही उनका भाषण लिखा करते थे। इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह गांधी परिवार के कितने करीबी रहे हैं। वहीं जब साल 2000 में मध्य प्रदेश का बंटवारा हुआ तो अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बने। यह जोगी का राजनीति में सर्वोच्च उत्थान था। शपथ लेने के बाद जोगी ने कहा था- 'हां, मैं सपनों का सौदागर हूं. मैं सपने बेचता हूं।'

9 मई को हुए भर्ती
जोगी को 9 मई को कार्डियक अरेस्ट के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पूर्व सीएम के स्टाफ ने बताया कि 9 मई को सुबह नाश्ता करते हुए जोगी को अचानक सीने में दर्द महसूस हुआ और सांस लेने में दिक्कत होने लगी। पत्नी रेणु जोगी इनके पास थीं और उन्होंने ही घर पर मौजूद स्टाफ को इसकी जानकारी दी। इसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया और स्थिति गंभीर होने के चलते वेंटिलेटर पर रखा गया था। पिता की तबियत खराब होने की सूचना मिलते ही बेटे अमित जोगी भी बिलासपुर पहुंच गए थे।

शह मात के बड़े खिलाड़ी के रूप में याद आएंगे जोगी
सीएम बनने के बाद जोगी ने राज्य के विकास के लिए कई तरह की योजनाओं पर काम शुरू किया, लेकिन इसके साथ ही उनकी बदनामी भी शुरू हो चुकी थी। उनके बेटे अमित जोगी पिता की ताकत को ढाल बनाकर राज्य में अनाप-शनाप कदम उठाते रहे। अमित एनसीपी के प्रदेश कोषाध्यक्ष की हत्या के आरोप में जेल भी गए। इसी दौरान जोगी की भी कार्यप्रणाली में काफी अलग रंग देखने को मिला। जोगी छत्तीसगढ़ में बिल्कुल अपने हिसाब से पार्टी और सरकार चला रहे थे। जिससे राज्य में पार्टी की छवि काफी खराब हुई। इस दौर में अजीत जोगी शह मात के बड़े खिलाड़ी माने जाते रहे।

जोगी की अगुवाई में कांग्रेस की लगातार तीन हार के बाद 15 साल तक राज्य में रमन सिंह की अगुवाई में बीजेपी सत्ता में रही। आखिरकार जोगी ने कांग्रेस से अलग होकर छत्तीसगढ़ जोगी कांग्रेस (जेसीसीजे) पार्टी बना ली है। पिछले विधानसभा चुनाव में जोगी की पार्टी ने मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन किया था, लेकिन उन्हें खास फायदा नहीं हुआ था। विधानसभा चुनाव में प्रदेश की 90 में से 35 सीटों पर बसपा और 55 सीटों पर गठबंधन में अजीत जोगी की पार्टी ने चुनाव लड़ा। दोनों के गठबंधन को सात सीटें मिली थीं, जिनमें दो बसपा की थीं। इसके बाद लोकसभा चुनाव में सभी 11 सीटों पर बसपा ने अकेले चुनाव लड़ा, लेकिन सफलता नहीं मिली।

बेहद मुश्किलों वाला रहा जोगी का बचपन
1946 में जन्में अजीत जोगी ने एक इंटरव्यू में बताया था कि बचपन उनका काफी तंगी में बीता था। उनके पिता ने गरीबी की चलते ईसाई धर्म अपना लिया था। ईसाई मिशिनरी की मदद से उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। जोगी और उनके परिवार का नाम भ्रष्टाचार के भी कई विवादों में आया, लेकिन वे जिस समाज से आए और जिन बुलंदियों को छूआ वह अपने आम में मिसाल है। जोगी लगातार 14 साल जिला कलेक्टर के पद पर रहे। इसके अलावा राजनीति में छत्तीसगढ़ के तीन साल मुख्यमंत्री रहे। साथ ही लोकसभा और राज्यसभा दोनों जगह सांसद रहे।

 

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