एक मत से गिरा अविश्वास प्रस्ताव, विपक्ष ने लगाया सदस्य के अपहरण का आरोप
कोरबा
छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलते ही राजनीति हर रोज एक नया मोड़ ले रही है. पिछले चार साल से कोरबा जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर काबिज़ देवी सिंह टेकाम को हटाने कांग्रेसी सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया गया. अविश्वास प्रस्ताव की मजबूती के लिए सदस्यों ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, लेकिन आखिरकार एक मत की कमी की वजह से अविश्वास प्रस्ताव गिर गया. अब विपक्ष ने मामले में सदस्य के अपहरण का आरोप लगाते शिकायत की है.
कोरबा में जिला पंचायत अध्यक्ष के खिलाफ विपक्ष के सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव लाया. संख्याबल में बढ़ोतरी रखे विपक्ष के लिए अविश्वास प्रस्ताव पास कराना आसान लग रहा था. कुल 12 सदस्यों वाले जिला पंचायत कोरबा में अविश्वास प्रस्ताव पारित करने पक्ष में 9 मत चाहिए थे. भाजपा समर्थित अध्यक्ष देवीसिंह टेकाम के पक्ष में 3 सदस्य पहले से ही थे. जबकि कांग्रेस खेमे के पास 8 सदस्यों का संख्याबल मौजूद था.
एक सदस्य रोहणी रजक निर्दलीय देखी जाती रही हैं. बुधवार को कलेक्टर सभाकक्ष में अविश्वास में चर्चा के बाद मतदान होना था, लेकिन निर्धारित समयावधि के भीतर सदन में दो सदस्य अनुपस्थित रहे. हालाकि बाद में पूर्व गृह मंत्री व रामपुर विधायक ननकीराम कंवर की पत्नी व जिला पंचायत सदस्य शकुंतला कंवर करीब 1 बजे सदन में पहुंची, लेकिन देरी से आने की वजह से उनको मतदान का अवसर प्राप्त नहीं हो सका. जबकि रोहणी रजक पूरे समय अनुपस्थित रही.
अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के बाद प्रस्ताव के पक्ष में 8 मत. जबकि विपक्ष में 2 मत हासिल हुए. इस तरह 9 मत नहीं मिलने की वजह से अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. अपर कलेक्टर प्रियंका ऋषि महोबिया ने बताया कि मत के आधार पर अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं हो सका. नियमानुसार सारी प्रक्रिया कराई गई है.
अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं होने के बाद आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया. जिला पंचायत उपाध्यक्ष अजय जायसवाल ने अनुपस्थित रही सदस्य रोहणी रजक के अपहरण का आरोप लगाया. इस दौरान वे उनके परिजनों की शिकायत कापी भी दिखाते नज़र आये. मामले में कटघोरा थाने में लापता रोहणी की शिकायत दर्ज कराई गई है. इधर जिला पंचायत अध्यक्ष देवसिंह टेकाम ने अविश्वास प्रस्ताव पारित न होने को अपनी जीत बताते कहा कि सरकार बदलने के बाद ही यह स्थिति आई है. चार साल तक कोई शिकवा शिकायत नहीं रही.
फिलहाल अविश्वास प्रस्ताव के बहाने मिली हार के बाद कांग्रेस खेमा अब मामले में शिकायत करने की बात कह रहा है. उनकी माने तो नियमों की गलत व्याख्या कर अविश्वास प्रस्ताव पारित नहीं किया गया है. जबकि संख्याबल उनके साथ था. हालांकि पंचायत अधिनियम की धारा 35 में स्पष्ट है कि अविश्वास प्रस्ताव पास करने के लिए कुल मत दो तिहाई से अधिक होना चाहिए.