एक बार फिर तबाही मचाने को बेताब दिख रही घाघरा, दहशत में कई गांव

 गोंडा करनैलगंज 
 विगत कुछ दिनों से शांत चल रही घाघरा एक बार फिर से उफान पर है। जिससे तटवर्ती गांवो पर खतरा बढ़ चुका है। कई मजरों में पानी भर जाने से लोग बांध पर शरण लिए हुए है। इधर लगातार हो रही बरसात के चलते बाढ़ पीड़ितों पर दोहरी मार पड़ रही है। सबसे अधिक घाघरा के बाढ़ से अब तक नकहरा, काशीपुर व बाराबंकी जनपद के मांझारायपुर, नैपुरा, परसावल व वेहटा गांव प्रभावित है। इन सभी गावों के मजरों में बाढ़ का पानी भर चुका है। यहां के लोग अपना जरूरी सामान लेकर बांध को ही अपना आशियाना बनाये हुए है।

अभी तक सरकारी मदद के नाम पर नकहरा गांव में मात्र 7 नावें लगाई गयी है। जबकि मांझारायपुर में बाराबंकी प्रशासन द्वारा राहत किट भी बांटी गयी है। मंगलवार को भी नदी के जलस्तर में बढोत्तरी जारी रही जिससे तटवर्ती गांवो के लोगों में भय व्याप्त है। यहां के अधिकतर इलाके भले ही इस बार काफी कम बारिश से जूझ रहे हों लेकिन घाघरा उफान पर आ गई हैं। हर साल की तरह गोण्डा व बाराबंकी जिले में घाघरा नदी में कटान ब़ढ़ रही है और तटवर्ती गांव पर खतरा मंडराने लगा है। स्थिति ये है कि अब तक दर्जनों मजरे पूरी तरह से जलमग्न हो चुके है। तो कई गांवों के मजरों में सड़क के किनारे तक पानी पहुंच गया है, जिससे ग्रामीणों में दहशत बढ़ने लगी है। वहीं प्रशासन का कहना है कि नदी के जलस्तर में बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन बाढ़ जैसी कोई भी स्थिति फिलहाल अभी नहीं है।

रोज जलमग्न हो रहे है नये नये मजरे: घाघरा नदी का पानी अब आस-पास के गांवों में घुसना शुरू हो गया है। जिससे गोण्डा व बाराबंकी जिलों के सरहदी गांवो के  सैंकड़ों मजरों पर बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। नदी का पानी बढ़ने से किसानों को अपनी फसलें बर्बाद होने का डर सताने लगा है। नदी के जलस्तर में इस कदर बढ़ोत्तरी हो रही है, जिसे देखकर साफ कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों मे बाढ़ की स्थिति और विकराल होने वाली है। उधर ग्रामीणों का आरोप है कि हर बार की तरह इस बार भी सरकार ने उनके लिए कोई इंतजाम नहीं किए हैं।

करनैलगंज के आधादर्जन मजरे हुए जलमग्न: नकहरा गांव के तीरथरामपुरवा, पुहिलपुरवा, राधेपुरवा, दुलारेपुरवा सहित करीब आधा दर्जन मजरे बाढ़ के पानी से जलमग्न हो चुके है। यहां प्रशासन का दावा है कि करीब आधा दर्जन नावें लगाई गयी है। तो वहीं अभी तक इन ग्रामीणों का हाल जानने कोई भी प्रशासनिक अधिकारी मौके तक नहीं पहुंचा है। ये सभी ग्रामीण निर्माणाधीन बांध पर छप्पर आदि डालकर शरण लिए हुए है। नकहरा गांव के रवीन्द्र, घनश्याम, बुद्धू, सोनू, तिलकराम, राजेश, अन्नू, ननकऊ व शंकर आदि ग्रामीणों का आरोप है कि प्रशासन बाढ़ व बांध को लेकर इस बार जागरूक नहीं है। जिससे उनकी समस्या बढ़ती जा रही है।

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