एक्सीडेंट में परिजन की हो जाए मौत या हो जाएं विकलांग तो ऐसे पाएं मुआवजा

 
नई दिल्ली 

संसद ने बुधवार को मोटर वाहन (संशोधन) बिल, 2019 पारित कर दिया. इसमें ट्रैफिक नियम तोड़ने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने और ज्यादा जुर्माना लगाने का प्रावधान है. इसके साथ ही हिट एंड रन के शिकार लोगों को मिलने वाली मुआवजा राशि में इजाफा किया गया है.

इस बिल के तहत प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार ‘गोल्डन ऑवर’ में सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों का कैशलेस उपचार करने की योजना बनाएगी. सड़क हादसे में घातक चोट लगने के बाद शुरुआती एक घंटे को गोल्डन ऑवर कहा जाता है. इस दौरान सड़क हादसे के शिकार व्यक्ति के बचने की उम्मीद ज्यादा होती है.

वहीं, हिट और रन में मौत होने पर अब पीड़ित के परिजनों को दो लाख रुपए मिलेंगे. पहले यह राशि 25 हजार रुपए थी. साथ ही गंभीर रूप से घायल लोगों को अब 50 हजार रुपए का मुआवजा मिलेगा. पहले 12,500 रुपए मिलता था. अब केंद्र सरकार थर्ड पार्टी इंश्योरेंस के अंतर्गत मुआवजे का दावा करने वालों को अंतरिम राहत देने के लिए भी एक योजना बनाएगी.

मुआवजा के लिए कहां करें क्लेम

ट्रैफिक नियमों के जानकार एडवोकेट वीके श्रीवास्तव ने बताया कि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 165 के तहत प्रावधान है कि राज्य सरकार हर जिले में एक या एक से अधिक मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल बनाए गए हैं. ये ट्रिब्यूनल सड़क हादसे के मामलों की सुनवाई करते हैं. पीड़ितों को मुआवजा दिलाते हैं. ऐसे मामलों में ड्राइवर की लापरवाही साबित करनी होती है. ये ट्रिब्यूनल सड़क हादसे के मामले की सुनवाई के दौरान सिविल न्यायालय के अधिकारों का पूरा इस्तेमाल करते हैं. इस ट्रिब्यूनल का गठन इसलिए किया गया, ताकि सड़क हादसों के शिकार लोगों को जल्द से जल्द मुआवजा मिल सके.

एडवोकेट वीके श्रीवास्तव ने बताया कि हिट एंड रन मामले में भी पीड़ित को मुआवजा देने का प्रावधान किया गया है. मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 163 के तहत केंद्र सरकार ने सोलेशियम फंड (Solatium Fund) बनाया है. मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन होने के बाद अब हिट एंड रन मामले में मृतक के परिजनों को दो लाख रु. का मुआवजा मिलेगा, जबकि घायलों को 50 हजार रु. का मुआवजा मिलेगा. हिट एंड रन मामले में एक्सीडेंट करने वाला ड्राइवर मौके से भाग जाता है.

इसके चलते वाहन और ड्राइवर की पहचान नहीं हो पाती थे. इसलिए पीड़ित मुआवजा से वंचित रह जाते थे. लिहाजा ऐसे लोगों को मुआवजा देने के लिए इस फंड को बनाया गया है. इसके लिए जिलाधिकारी कार्यालय में आवेदन करना होगा. यह मुआवजा मामले की जांच के बाद मिलता है.

सड़क हादसे में हर साल मरते हैं 1 लाख 40 हजार लोग

सुप्रीम कोर्ट में एमआर कृष्णा मूर्ति बनाम न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड मामले की सुनवाई के दौरान सड़क हादसों का एक आंकड़ा पेश किया गया था. इसमें कहा गया कि देश में हर साल सड़क हादसे में 1.40 लाख लोगों की मौत हो जाती है, जबकि 5 लाख से ज्यादा लोग घायल हो जाते हैं. इसमें से महज 10% लोग ही मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (एमएसीटी) में मुआवजे के लिए क्लेम करते हैं. इसके अलावा सड़क हादसों के शिकार 90%  लोगों को न्याय नहीं मिल पाता. ये लोग इतने गरीब होते हैं, जिसके चलते ट्रिब्यूनल की चौखट तक भी नहीं पहुंच पाते.

अब मोटर वाहन दुर्घटना कोष बनाएगी सरकार

इस संशोधित बिल में प्रावधान किया गया है कि केंद्र सरकार मोटर वाहन दुर्घटना कोष बनाएगी. यह कोष भारत में सड़क का प्रयोग करने वाले सभी लोगों को अनिवार्य बीमा कवर देगा. इसका उपयोग गोल्डन ऑवर योजना के तहत सड़क दुर्घटना के शिकार लोगों के इलाज में किया जाएगा. इस कोष से हिट और रन में जान गंवाने वाले लोगों के परिजनों को मुआवजा दिया जाएगा. हिट और रन मामले में गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को भी मुआवजा मिलेगा.

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