उपेक्षा पड़ा भारी, अब चेतने की बारी

रायपुर
नगरीय निकाय चुनाव की समीक्षा रिपोर्ट व पंचायत चुनाव की भावी रणनीति को लेकर भाजपा नेताओं की बैठक पार्टी मुख्यालय में हुई, हालांकि तमाम कारण गिनाये गए लेकिन मुख्य रूप से यह बात सामने आई कि टिकट वितरण के दौरान कार्यकतार्ओं की पसंद को तवज्जो नहीं दिया गया। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद लोकसभा की जीत के साथ बड़े नेताओं का सुर फिर बदल गया था और अब निकाय चुनाव में हार के बाद फिर चौंक रहे हैं। पुराने चेहरों को बार-बार मौका देने का खामियाजा भुगतना पड़ा। जिनको टिकट के लायक नहीं समझा गया वही चुनाव जीत गए। संगठन स्तर पर बहुत सारी बातें आई हैं। इसलिए बैठक में ही पार्टी ने तय किया है कि पंचायत चुनाव में कार्यकतार्ओं को संतुष्ट कर पूरा महत्व देना है। बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि जिन बागियों ने चुनाव जीते हैं उन्हे मनाया जाए ताकि कुछ जगहों पर महापौर,अध्यक्ष बनाने में पार्टी को मदद मिल सके। कुछ नेता तो यहां तक बिफरे हुए थे कि उन्होने दो टूक कह दिया यदि अब नहीं चेते तो शायद चार साल बाद भी संभव नहीं है। अंदरखाने की खबर है कि काफी नाराजगी कार्यकतार्ओं में हैं।

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