उन्नाव कांड गांव के लोग बातचीत से भी कर रहे परहेज, असंमजस में रिश्तेदार व ग्रामीण 

 चकलवंशी (उन्नाव)
 
मांखी गांव के वाशिंदे घटना को लेकर कोई भी प्रतिक्रिया देने से परहेज कर रहे हैं। उनको इस बात का भी मलाल है कि अब तो अंतिम यात्रा में भी जाने के लिए ग्रामीण व रिश्तेदारों को सोचना पड़ता है। ग्रामीण इस मुद्दे पर खुलकर बात करने से कतरा रहे हैं।

अप्रैल 18 में पीड़िता के पिता की पिटाई से हुई मौत के बाद मांखी गांव सुर्खियों में छा गया। मामला सत्ता पक्ष के विधायक से जुड़ा होने से समाजिक संगठनों से लेकर विपक्षी दलों ने मामले की सीबीआई से जांच कर कार्रवाई की मांग रखी। जबकि सरकार ने एसआईटी को जांच सौंपी थी। भारी विरोध प्रदर्शन के बाद सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया। महीनों तक टीम ग्रामीणों से मामले में पूछताछ करती रही। जिससे ग्रामीण भयभीत होने लगे। अब तो स्थित यह है कि इस घटना के बारे में कुछ भी जानकारी करने पर मालूम नहीं है। कहकर गांव के लोग पल्ला झाड़ लेते हैं। 

उधर, गांव के बड़े बुजुर्गों का कहना है कि दोनों पक्ष एक ही साथ थे। मगर इस बीच कुछ ऐसा हुआ। जिससे दोनों परिवारों के बीच दूरियां बढ़ती चली गई। अब तो हालत यह है कि बाहर कही जाने पर गांव का नाम सुनते ही लोग पूछने लगते हैं। वही मांखी गांव जहां विधायक पर किशोरी से दुष्कर्म का आरोप है और वह जेल में बंद हैं। इसी के चलते रविवार को पीड़िता की चाची की दुर्घटना में हुई मौत के बाद जब बुधवार को अंतिम संस्कार के लिए कुछ रिश्तेदार और गिने चुने ग्रामीण ही शुक्लागंज घाट तक गए थे। ग्रामीण चाहते हुए भी न जाने के तर्क भी देते हुए कहा कि दोनों पक्ष के बीच क्या चल रहा है ? उससे कोई मतलब नहीं, जो भी दोषी हो उसे सजा मिलनी ही चाहिए।

चल रहे खूनी झंझट से सबने किया किनारा
बुजुर्गों का कहना है कि यह दोनों परिवार एक ही है। पहले दोनों में खासा तालमेल था। पता नहीं कैसे क्या हुआ? दोनों परिवारों में खूनी रंजिश शुरू हो गई। पीड़िता की चाची जी व मौसी की मौत के बाद तीन दिनों से गांव में भारी फोर्स की तैनाती होने से हर तरफ खामोशी का मंजर छाया हुआ है। गांव के लोग दोनों परिवारों के बीच हुए घटनाक्रम के बारे में कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। वह लोग चल रहे खूनी झंझट में अपने परिवार को शामिल नहीं करना चाहते हैं।

रिश्तेदारों से भी ग्रामीण में नहीं कर रहे बात
घायल पीड़िता का लखनऊ के ट्रामा सेंटर में इलाज चलने से गांव के घर पर परिजन ताला लगा कर चले गए। मौत की खबर मिलने पर आने जाने वाले रिश्तेदार गांव पहुंच रहे हैं। जहां ताला लटकता देख गांव में रहने वाले अन्य रिश्तेदारों से बात करने की कोशिश की तो गांव के लोगों ने इस संबंध में कोई बातचीत नहीं की बस केवल एक बात पर अड़े रहे घटना के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं 

गनर व दोनों महिला आरक्षी निलंबित
रविवार को पीड़िता की सुरक्षा में कांस्टेबल सुदेश कुमार (गनर) व महिला आरक्षी रूबी पटेल और सुनीता देवी को लगाया गया था। पीड़िता के कारण से रायबरेली जाते समय सुरक्षा ड्यूटी में लगे पुलिसकर्मियों को कार में जगह न होने की बात पर रोक दिया था जिसकी वजह से सुरक्षाकर्मी नहीं गए थे। इस बात की पुलिसकर्मियों से थाने में सूचना न दिए जाने से एसपी माधव प्रसाद वर्मा ने गुरुवार को गनर समेत दोनों महिला आरक्षियों को निलम्बित दिया है ।

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