उत्तराखंड: 8.5 करोड़ में ऑस्ट्रेलिया से आईं 240 मेरिनों भेड़, बढ़ेगा ऊन का व्यापार

 
देहरादून 

उत्तराखंड में भेड़ पालन एक मुख्य व्यवसाय है. भेड़ पालन से उत्तराखंड में ऊन का कारोबार बड़े स्तर पर किया जाता है. भारतीय नस्ल की भेड़ों के साथ-साथ अब ऑस्ट्रेलियन भेड़ों की नस्ल का उत्तराखंड में पालन किया जा रहा है. जिसके लिए ऑस्ट्रेलिया से खास किस्म की नस्ल की भेड़ों को टिहरी गढ़वाल में लाया गया है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिह रावत ने गुरुवार को ऑस्ट्रेलिया के एक समूह से उन भेड़ों की जानकारी प्राप्त की. साथ ही उनसे अनुबंध कर ऑस्ट्रेलिया से भेड़ आयात के रास्ते को सुगम किया है.

240 भेड़ों को मंगवाने में 8.5 करोड़ का खर्च
भेड़ पालन करने वाले किसानों की आय में वृद्धि और उत्तराखंड में ऊन के कारोबार में वृद्धि की दृष्टि से राज्य में ऑस्ट्रेलिया से खास किस्म की नस्ल की मेरिनों भेड़ों को लाया गया है. जिनकी संख्या को आगे बढ़ाया भी जाएगा. ऑस्ट्रेलिया से आई इन 240 भेड़ों को मंगवाने के लिए लगभग 8.5 करोड़ का खर्च आया है, इन 240 भेड़ो में 200 फीमेल और 40 मेल भेड़ों को टिहरी गढ़वाल के कोपरधार में चल रहे राजकीय भेड़ प्रजनन प्रक्षेत्र में लाया गया है. इन सभी भेड़ों को 3 साल तक प्रजनन के लिए रखा जाएगा, जिन्हें चौथे साल तक किसानों को सौंप दिया जाएगा.

क्या है ऑस्ट्रेलिया की भेड़ों की खासियत?
भारत सरकार ने किसानों की आय को बढ़ाने के लिए हिमाचल, कश्मीर, और उत्तराखंड में ऑस्ट्रेलिया से मेरिनों भेड़ों का आयात किया है. इन भेड़ों की खास बात ये है कि एक बार में इन भेड़ों से 6 से 7 किलो ऊन उतारी जा सकती है. जो भारतीय नस्ल की भेड़ों से ज्यादा है. इन भेडों से 8 साल तक ऊन उत्पादन किया जा सकता है.

रख-रखाव के लिए ऑस्ट्रेलिया से ही आए हैं किसान  
भेड़ों के रख-रखाव के लिए ऑस्ट्रेलिया से आए किसानों का राज्य के मुख्यमंत्री ने स्वागत करते हुए कहा कि इन भेड़ों से राज्य के किसानों की आय दोगनी तिगुनी हो जाएगी, जो राज्य में भेड़ के व्यवसाय के लिए वरदान साबित होगी. मुख्यमंत्री ने ये भी कहा कि देश मे ऑस्ट्रेलिया से ऊन को मंगवाया जाता है, जो काफी महंगी होती है. भारत में इन भेड़ों का पालन होने से ऊन के लिए विदेशों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

भेड़ों की नश्ल सुधार कार्यक्रम के तहत ऑस्ट्रेलिया से उच्च गुणवत्ता की 240 मेरिनों भेड़ें आयात की गई हैं। पशुपालन के क्षेत्र में इस क्रान्तिकारी कदम से भेड़पालकों को फ़ायदा पहुँचेगा । इन भेड़ों से उच्च गुणवत्ता की ऊन प्राप्ति के कारण भेड़पालकों की आय वृद्धि होगी।
 
पहली बार हुआ आयात
जबसे उत्तराखंड राज्य बना है तब से अब तक पशुपालन विभाग ने किसी भी नस्ल की नई भेड़ों का आयात नहीं किया था. जिससे राज्य में उत्तर प्रदेश के समय लाई गई भेड़ों से ही ऊन उत्पादन किया जा रहा था. यह भेड़ एक शेरिंग में 2 से 4 किलो ऊन ही उत्पादन करती थीं. जबकि अब जिन भेड़ों का आयात किया गया है, उनसे 6 से 8 किलो ऊन का उत्पादन किया जा सकेगा. अभी तक राज्य 588 टन ऊन का राज्य में उत्पादन करता था जो अब बढ़कर 1000 से 1500 टन तक होने की संभावना है. इसके साथ ही साथ राज्य अब कॉरपोरेट ऊन की जगह फाइन ऊन का उत्पादन कर सकेगा.

उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर के लिए किया गया आयात
राष्ट्रीय पशुधन के तहत केंद्र ने तीन राज्यों के लिए ऑस्ट्रेलिया से भेड़ों का आयात किया है. जिसके लिए कुल खर्च का 90 फीसदी खर्च केंद्र ने और 10 फीसदी राज्य ने खर्च किया है. केंद्र सरकार ने किसानों की आय में वृद्धि के लिए ये कदम उठाया है. इसकी शुरुआत उत्तराखंड, हिमाचल और कश्मीर से की गई है जो तीनों राज्यों के किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. उत्तराखंड के पहाड़ी परिवेश में रोजगार और व्यवसाय की दृष्टि से भी ये बेहद खास कदम साबित हो सकता है.

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