उत्तराखंड में टूटा मिथक, राज्य सरकार में रहते हुए भी लोकसभा चुनाव जीती भाजपा

 
नई दिल्ली 

लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तराखंड में बीजेपी ने सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के नेतृत्व में रिकॉर्ड कायम कर लिया है. इस राज्य में पिछले 19 सालों से एक मिथक चला आ रहा था. उत्तराखंड गठन के बाद अबतक राज्य में चार बार लोकसभा चुनाव हुए हैं. दिलचस्प बात ये है कि राज्य में जिस पार्टी की सरकार रहती है, लोकसभा चुनाव में उस पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ता है. लेकिन उत्तराखंड बीजेपी इस परिपाटी को बदलने में कामयाब रही है.

2019 की मोदी लहर में जीती पांचों सीट

अल्मोड़ा से अजय टम्टा ने कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को 2.32 लाख, गढ़वाल से तीरथ सिंह रावत ने कांग्रेस के मनीष खंडूरी को 3 लाख, हरिद्वार से रमेश पोखरियाल ने कांग्रेस के अंबरीश कुमार को 2.58 लाख, नैनीताल-ऊधम सिंह नगर से अजय भट्ट ने कांग्रेस के हरीश रावत को 3.39 लाख और टिहरी गढ़वाल से माला लक्ष्मी शाह ने कांग्रेस से प्रीतम सिंह को 3 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से मात दी.

ऐसा रहा है चुनावी इतिहास

साल 2000 में उत्तराखंड का गठन होने के बाद 2004 में लोकसभा चुनाव हुए. तब कद्दावर नेता एनडी तिवारी उत्तराखंड के सीएम थे. माना जा रहा था कि तिवारी अपने नेतृत्व कौशल के बल पर राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर कब्जा करेंगे, लेकिन चुनाव नतीजे हैरान करने वाले रहे, कांग्रेस केवल नैनीताल सीट जीत पाई. बाकी तीन सीट बीजेपी और एक सीट सपा ने जीती.

ये ट्रेंड 2009 में भी कायम रहा. उत्तराखंड में बीसी खंडूरी राज्य के सीएम थे, बीजेपी को उम्मीद थी कि राज्य में भी बीजेपी अच्छा प्रदर्शन करेगी. पर जब चुनाव के नतीजे आए तो बीजेपी नेतृत्व हैरान रह गया. बीजेपी उत्तराखंड की पांचों लोकसभा सीटें हार गई.

अब आया साल 2014. उत्तराखंड में कांग्रेस की सरकार थी, सीएम थे हरीश रावत. उन पर राज्य में बढ़िया प्रदर्शन करने का दबाव था. लेकिन तब पूरा देश मोदी लहर की जद में था. हरीश रावत ने कोशिश तो खूब की, लेकिन फायदा कुछ नहीं हुआ. कांग्रेस 2014 में सभी सीटें हार गई.

दोहरा खतरा पार कर जीती भाजपा

2019 लोकसभा चुनाव सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की लीडरशिप का लिटमस टेस्ट था. इस राज्य में ये चुनाव बीजेपी के लिए दोधारी तलवार पर चलने के समान था. बीजेपी को डबल इंजन की सरकार होने का फायदा मिल सकता था, तो अगर दूसरा पक्ष देखें तो राज्य को दोहरी एंटी इंकम्बेंसी फैक्टर का भी सामना करना पड़ सकता था. बाहरी तौर पर जनता पीएम मोदी के नाम पर झूम रही थी, लेकिन अंदरखाने चिंता ये भी थी कि राज्य सरकार के कामकाज से नाराज जनता कही बीजेपी के खिलाफ वोट न दे.

हालांकि 23 मई को आए नतीजे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए बेहद सुकून लेकर आए. बीजेपी ने  राज्य की पांचों सीटों पर जीत हासिल की. इस तरह से उत्तराखंड में मोदी और रावत का सिक्का एक बार फिर चला. चुनाव आयोग के मुताबिक उत्तराखंड में बीजेपी को 60 फीसदी से ज्यादा वोट मिला है. सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसके लिए राज्य की जनता का आभार जताया है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *