इ-वे बिल हटाने राज्य सरकार ने केन्द्र को लिखी चिट्ठी, बजट में लाइसेंस खत्म करने के लिए भी दबाव

रायपुर
 राज्य बजट में कारोबारियों को बड़ी राहत मिल सकती है। वाणिज्यिक कर विभाग के अधिकारियों के मुताबिक व्यापारी संगठनों की मांग के बाद अब राज्य जीएसटी ने केंद्रीय जीएसटी को चिठ्ठी लिखी है कि राज्य सरकार इ-वे बिल हटाने को तैयार है, वहीं इसमें केंद्रीय जीएसटी को कोई आपत्ति या किसी भी प्रकार का सुझाव हो तो कृपया बताएं।

प्रदेश के भीतर इ-वे बिल हटाने को लेकर लगभग सहमति बन चुकी है। राज्य के भीतर उत्पादन करने वाले उत्पादनकर्ताओं पर इ-वे बिल लग सकता है, वहीं अन्य को पूरी तरह राहत मिल सकती है। राज्य सरकार ने बजट के लिए प्रारूप लगभग तैयार कर लिया है। कारोबारियों की प्रमुख मांग प्रदेश के भीतर इ-वे बिल हटाने की है। प्रदेश में 15 अलग-अलग सेक्टर के उत्पादों पर अभी इ-वे बिल लागू है। राज्य सरकार ने जीएसटी अधिनियम 138(14) के अंतर्गत इ-वे बिल हटाने को लेकर केंद्रीय जीएसटी को चिठ्ठी लिखी है।

यह भी है मांग
इंस्पेक्टर राज खत्म करने, वैट के लंबित मामले, उद्योगों के लिए नगरीय निकाय द्वारा टैक्स में राहत, कई गैर जरूरी लाइसेंस प्रक्रिया को हटाने आदि की मांग शामिल हैं। बजट के पहले कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीजी चैप्टर), छग मिनी स्टील प्लांट एसोसिएशन, उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री व वाणिज्यिक कर मंत्री (जीएसटी) को सुझाव सौंप दिया है।

क्या कहते हैं व्यापारी संगठन
कैट सीजी चैप्टर के अध्यक्ष अमर परवानी का कहना है कि इ-वे बिल एक दस्तावेजी प्रक्रिया है। इसे खत्म करने से राजस्व का नुकसान नहीं होगा। हमने इस पर वित्तमंत्री को मांग-पत्र सौंपा है। चैंबर अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा ने कहा कि वैट के लंबित मामलों को खत्म करना चाहिए, कई लाइसेंस जैसे मंडी शुल्क, गुमाश्ता आदि के खत्म करना चाहिए।

जीएसटी विशेषज्ञ विवेक सारस्वत व महेश शर्मा ने कहा कि इ-वे बिल खत्म करने से राज्य सरकार पर भार नहीं होगा।वर्तमान में जिले के भीतर इ-बिल से राहत है,वहीं एक जिले से दूसरे जिलों में 15 निर्धारित सेक्टर के वस्तुओं पर नियम लागू है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *