इस साल के अंत में देश में शुरू होगा 5G ट्रायल

भारत में मोबाइल टेक्नोलॉजी की पांचवीं जेनरेशन (5जी) का ट्रायल 2019 के आखिर या अगले साल की शुरुआत में हो सकता है। 5जी के ट्रायल के लिए हाल ही में गठित कमेटी ने यह जानकारी दी है। आईआईटी कानपुर के डायरेक्टर और 5जी स्पेक्ट्रम ट्रायल के लिए गठित कमेटी के चेयरमैन अभय करंदिकर ने बताया, '5जी का ट्रायल इस साल के अंत या अगले साल की शुरुआत में हो सकता है। 2020 के दूसरे या तीसरे क्वॉर्टर में इसे लगाने का काम शुरू होने की उम्मीद है।'

5जी ट्रायल में रुकावट
बहुप्रतीक्षित 5जी ट्रायल में रुकावट आ गई है क्योंकि दूरसंचार विभाग की वायरलेस प्लानिंग और को-ऑर्डिनेशन विंग इसके लिए कंपनियों को 90 दिनों से अधिक समय के लिए स्पेक्ट्रम देने का विरोध कर रही है। टेलीकॉम इंडस्ट्री का कहना है कि 90 दिनों के लिए स्पेक्ट्रम मिलने से कोई मकसद हासिल नहीं होगा। करंदिकर ने कहा कि इंडस्ट्री को पर्याप्त समय या कम से कम एक साल के लिए न्यूनतम लागत पर स्पेक्ट्रम दिया जाए ताकि 5जी ट्रायल का काम पूरा किया जा सके।

उन्होंने कहा, 'दूरसंचार विभाग को एक्सपेरिमेंटल लाइसेंसिंग की मौजूदा व्यवस्था में बदलाव करना होगा। इसका दायरा बढ़ाना होगा। तभी कंपनियां और इंडस्ट्री नेटवर्क के लेवल पर 5जी ट्रायल कर पाएंगी।’ विभाग ने 25 फरवरी को करंदिकर की अगुवाई में एक कमेटी का गठन किया था। इसमें शैक्षिक संस्थानों, इंडस्ट्री और सरकार के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया गया है।

5जी के पायलट प्रोजेक्ट के लिए लाइसेंसिंग प्रक्रिया, स्पेक्ट्रम की मात्रा, साइज, प्राइस और दूसरे बिंदुओं पर सुझाव देने के लिए इसका गठन हुआ था। इससे पहले 2018 में सरकार ने वोडाफोन आइडिया, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो इंफोकॉम से टेलीकॉम इक्विपमेंट बनाने वाली सिस्को, सैमसंग, एरिक्सन और नोकिया जैसी कंपनियों से साझेदारी करके भारत में 5जी यूज-केस 2019 तक तैयार करने को कहा था।

हुवावे, जेडटीई पर संशय बरकरार
हालांकि, दूरसंचार विभाग अभी तक चीन की हुआवे और जेडटीई के ट्रायल में हिस्सा लेने पर अभी तक कोई निर्णय नहीं ले सका है। शेनझेन की हुआवे के मुताबिक, वह 5जी ट्रायल में हिस्सा लेने के लिए सरकार की इजाजत का इंतजार कर रही है। कंपनी ने कहा कि मंजूरी मिलने के तीन हफ्ते के अंदर वह 5जी नेटवर्क लगा सकती है।

करंदिकर दूरसंचार नियामक ट्राई को भी सलाह देते हैं। वह 5जी पर उच्चस्तरीय समिति के भी सदस्य हैं। यह समिति वैज्ञानिक एजी पॉलराज की अगुवाई में दुनिया के कुछ विकसित देशों के साथ भारत में भी 5जी का इस्तेमाल शुरू करने के लिए रोडमैप तैयार कर रही है। इस समिति ने सितंबर 2018 में सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपीं थीं। इसके बाद इन्हें लागू करने के लिए कई उप-समितियां या वर्किंग ग्रुप बनाए गए हैं।

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