इस परियोजना से ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक मजबूती देने की तैयारी

 लखनऊ 
पूर्वांचल और बुंदेलखंड की ग्रामीण महिलाओं के सामाजिक और आर्थिक उत्थान के लिए डेरी वैल्यू चेन शुरू की गई है। एसएचजी से जुड़ी महिलाएं घर से ही अच्छे रेट में अपनी गाय-भैसों का दूध बेच सकेंगी। दूध का वाजिब मूल्य लेने के साथ ही सदस्यों को कंपनी में शेयर भी दिया जा रहा है। बुंदेलखंड की 7000 महिलाएं इस परियोजना से जुड़ चुकी हैं। अब यह परियोजना पूर्वांचल में शुरू किए जाने की तैयारी की गई है।

नेशनल डेरी  डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) के सहयोग से बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड का गठन किया गया है। कुल परियोजना व्यय का 60 फीसदी केंद्र की एनआरएलएम और 40 फीसदी धनराशि राज्य सरकार की संस्था एसआरएलएम खर्च कर रहा है। परियोजना के संचालन में एनडीडीबी डेरी सर्विसेस जो की राष्ट्रीय डेरी विकास बोर्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी है, तकनीकी सहायता दे रही है। 

48000 महिलाओं को वेल्यू चेन से जोड़ना है: योजना के तहत बुंदेलखंड के जिलों में इस योजना के तहत 600 गांवों की 3600 स्वयं सहायता समूहों को बलिनी मिल्क प्रोड्यूसर कंपनी के वैल्यू चेन से जोड़ा जाना है।  हमीरपुर और झांसी की 7000 महिलाओं को सदस्यता दे दी गई है। इन महिलाओं से रोजाना 41 हजार कि.ग्रा. दूध का संग्रह किया जा रहा है। जालौन, चित्रकूट, बांदा व अन्य जिलों की महिलाओं को जोड़ने की प्रक्रिया चल रही है।

पूर्वांचल के जिलों को जोड़ने की कार्ययोजना तैयार: अब इस वैल्यू चेन से पूर्वांचल के जिलों जैसे वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, भदोही, बलिया आदि को जोड़ने की तैयारी की गई है। 
सदस्य महिलाओं को शेयर भी: इस योजना के तहत बलिनी कंपनी से जुड़ने वाली महिलाओं के लिए 500 लीटर दूध साल में देना अनिवार्य किया गया है। सदस्य महिलाओं को कंपनी का शेयर भी दिया जा रहा है। 

योजना के तहत बुंदेलखंड के हमीरपुर, झांसी, जालौन, चित्रकूट और बांदा में दूध संग्रह का काम शुरू किया गया है। अब पूर्वांचल में इस योजना के तहत सदस्य बनाने पर काम होगा। सदस्य महिलाओं से उनके घर से ही दूध खरीदने की व्यवस्था है। हर दसवें दिन दूध के मूल्य का भुगतान सीधे सदस्य के बैंक खाते में करने की व्यवस्था है।    
 सुजीत कुमार, मिशन निदेशक एसआरएलएम 

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