इस तरह शुरू हुई सरस्वती पूजा, जानें पूजा की विधि और कथा

 
बसंत पंचमी का त्‍योहार माघ शुक्‍ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। इसे बसंत ऋतु के आगमन के उत्‍सव के तौर पर मनाया जाता है। इस वर्ष यह तिथि 10 फरवरी को पड़ रही है और उस दिन देशभर में धूमधाम से बसंत पंचमी का त्‍योहार मनाया जाएगा। विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्‍वती के अवतरण दिवस के तौर पर बसंत पंचमी मनाई जाती है। इस अवसर पर विद्यार्थी, लेखक, कवि, गायक, वादक और साहित्‍य व कला जगत से जुड़े सभी लोग मां सरस्‍वती का पूजन-वंदन करते हैं। आइए जानते हें मां सरस्‍वती के अवतरण से जुड़ी पौराणिक कथा और महत्‍व व पूजाविधि…

जब ब्रह्माजी निकले भ्रमण पर 
पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार, मां सरस्‍वती के अवतरण के उपलक्ष्‍य में बसंत पंचमी मनाई जाती है। पुराणों में बताया गया है कि जगत रचियता ब्रह्माजी एक बार भ्रमण पर निकले तो उन्‍हें सारा ब्रह्मांड मूक नजर आया। चारों ओर अजीब सी खामोशी थी। यह देखकर उन्‍हें सृष्टि की रचना में कुछ कमी सी महसूस हुई।
ऐसे प्रकट हुईं मां सरस्‍वती 
भ्रमण करते हुए ब्रह्माजी एक जगह ठहरे और अपने कमंडल से थोड़ा सा जल लेकर छिड़का तो एक महान ज्‍योतिपुंज में से एक देवी प्रकट हुईं। वीणा लिए यह देवी थीं मां सरस्‍वती। चेहरे पर अद्भुत तेज लिए मां सरस्‍वती ने ब्रह्माजी को प्रणाम किया। इस प्रकार वह ब्रह्माजी की पुत्री कहलाईं। उनके प्राकट्य के उत्‍सव के तौर पर बसंत पंचमी का उत्‍सव मनाया जाता है।

ब्रह्माजी ने मां सरस्‍वती को सौंपा यह कार्य 
मां सरस्‍वती के प्रकट होने पर ब्रह्माजी ने उनसे कहा कि इस सृष्टि में सभी जीव मूक हैं। ये केवल चल रहे हैं, इनमें आपसी संवाद करने की सामर्थ्‍य नहीं हैं। इस पर देवी सरस्‍वती ने उनसे पूछा, प्रभु मेरे लिए क्‍या आज्ञा है? ब्रह्माजी ने कहा, देवी आपको अपनी वीणा के सुरों से इस संसार को ध्‍वनि प्रदान करनी है, ताकि ये सभी आपस में संवाद कर सकें। एक-दूसरे के दुख-तकलीफ को समझ सकें। स्‍नेह दे सकें। उनकी आज्ञा का पालन करके मां सरस्‍वती के समस्‍त जीवों को आवाज प्रदान की।
 देवता और असुर सभी करते हैं पूजा 
समस्‍त संसार को ध्‍वनि प्रदान करने वाली मां सरस्‍वती की पूजा देवता और असुर दोनों ही करते हैं। इस दिन लोग अपने-अपने घरों में माता की प्रतिमा स्‍थापित करते हैं। कई स्‍कूल, कॉलेजों, समितियों और संस्‍थाओं में कभी सरस्‍वती पूजन का आयोजन होता है।
 इस प्रकार से करें पूजा 
सर्वप्रथम पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर मां सरस्‍वती की प्रतिमा स्‍थापित करें। इसके बाद देवी जी का आचमन करके स्‍नान कराएं। इसके बाद सफेद फूल और माला चढ़ाएं। इसके मां को सिंदूर चढ़ाएं और श्रृंगार की अन्‍य वस्‍तुएं भी अर्पित करें। मां के चरणों में गुलाल लगाएं और उन्‍हें श्‍वेत वस्‍त्र पहनाएं।
 मां के भोग में होने चाहिए ये वस्‍तुएं 
मां सरस्‍वती की पूजा करने के बाद उन्‍हें पीले फल अर्पित करें। कुछ घरों में पीले मीठे चावलों के पकवान बनाकर उनका भोग लगाया जाता है। मां को पीले रंग की बूंदी का भी भोग लगाया जा सकता है। इसके अलावा शाम के वक्‍त मां को खीर का भोग लगाएं। मां सरस्‍वती के प्रसाद को आस-पड़ोस के लोगों में भी वितरित करें।

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