इलेक्ट्रिक वीइकल्स: टू-वीलर्स ने मारी बाजी, कारें पिछड़ी

नई दिल्ली
भारत में इलेक्ट्रिक वीइकल्स के लक्ष्य को पूरा करने में टू-वीलर्स आगे नजर आ रहे हैं, जबकि कारें पिछड़ रही हैं। इसे हम एक उदाहण से समझते हैं। महाराष्ट्र के गोव गांव निवासी किसान विनोद गोरे ने फ्यूल की बढ़ती कीमत की वजह से पेट्रोल स्कूटर को छोड़कर इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीद लिया। 

गोरे का ओकिनावा कंपनी का इलेक्ट्रिक स्कूटर एक बार चार्ज करने पर करीब 100 से 120 किलोमीटर तक चलता है। इतनी ही दूरी की यात्रा के लिए पेट्रोल स्कूटर से गोरे को करीब 150 रुपये खर्च करने पड़ते। इसकी तुलना में इलेक्ट्रिक स्कूटर से यात्रा करने के लिए उन्हें इसका 10 पर्सेंट की खर्च करना पड़ता है। गोरे ने कहा, 'मैंने इसे पैसे बचाने के लिए खरीदा है।' उन्होंने 75 हजार रुपये में यह स्कूटर खरीदा है और उन्हें उम्मीद है कि पेट्रोल और मेनटेनेन्स की बचत से वह दो से तीन साल के अंदर इतना पैसा बचा लेंगे। 

साल 2030 तक 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वीइकल्स का लक्ष्य 
केंद्र सरकार ने 2030 तक नई कारों और दोपहिया वाहनों की बिक्री में 30 प्रतिशत इलेक्ट्रिक वीइकल्स का लक्ष्य रखा है, जो अभी 1 पर्सेंट से भी कम है। मगर इलेक्ट्रिक वीइकल्स बनाने के लिए कार निर्माता कंपनियों को प्रोत्साहित करने के सरकार के प्रयास विफल नजर आ रहे हैं। इसकी वजह लोकल मैन्युफैक्चरिंग और सेल्स को प्रोत्साहित करने के लिए स्पष्ट नीति का न होना, पब्लिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी और बैटरी की अधिक कीमत है। 

ऐसे में कीमत को ध्यान में रखने वाले गोरे जैसे खरीदार बेहतर टारगेट हो सकते हैं। यह यामाहा मोटर और सुजुकी मोटर जैसी ग्लोबल कंपनियों के लिए एक नया मार्केट भी खोलता है, जो इलेक्ट्रिक स्कूटर और मोटरसाइकिल लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। 

भारत टू-वीलर्स का सबसे बड़ा मार्केट
यहां बहुत ज्यादा संभावनाएं हैं, क्योंकि भारत स्कूटर्स और मोटरसाइकल्स के लिए दुनिया का सबसे बड़ा बाजार है। 31 मार्च, 2018 को समाप्त हुए वित्त वर्ष में यहां 19 मिलियन से अधिक टू-वीलर्स की बिक्री हुई थी। यह इसी दौरान कार की बिक्री का करीब छह गुणा ज्यादा है। दूसरा सबसे बड़ा बाजार चीन है, जहां साल 2017 में 17 मिलियन मोटरसाइकल की बिक्री हुई। इलेक्ट्रिक स्कूटर इनमें बहुत कम हैं, लेकिन तेजी से बढ़ रहे हैं। 

तेजी से बढ़ रहे इलेक्ट्रिक स्कूटर्स
सोसायटी ऑफ मैन्युफैक्चरर्स ऑफ इलेक्ट्रिक वीइकल्स (SMEV) के मुताबिक, वित्त वर्ष 2017-18 में 54,800 इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की बिक्री हुई थी, जो एक साल पहले की तुलना में दोगुनी थी। वहीं, दूसरी ओर इसी अवधि के दौरान इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री 2,000 से गिरकर 1,200 यूनिट हो गई। साल 2030 तक इलेक्ट्रिक स्कूटर्स की बिक्री प्रति वर्ष दो मिलियन यानी 20 लाख पार करने की उम्मीद है। वहीं, कारों की बात करें, तो फिलहाल ज्यादातर कंपनियां भारत में इलेक्ट्रिक कार लाने का विरोध कर रही हैं। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *