इंदौर में पिछले 12 दिन में एक हजार नए मरीज, 1412 मरीज स्वस्थ होकर घर को लोटे
इंदौर
मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में कोरोना मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है. संक्रमण का अंदाजा इसी बात से लगाई जा सकती है कि पिछले 12 दिन में एक हजार नए मरीज मिले हैं, जबकि शुरुआत मेंं एक हजार मरीज होने में 30 दिन का समय लगा था. दूसरे एक हजार का आंकड़ा पार करने में 18 दिन का समय लगा था. दरअसल, इंदौर में पहला कोरोना मरीज 24 मार्च को मिला था. उसके अगले 30 दिनों में मरीजों की संख्या एक हजार हो गई थी. उसके बाद 18 दिनों में मरीजों की संख्या 2 हजार और फिर महज 12 दिनों में मरीजों की संख्या 3 हजार के पार चली गई है.
इंदौर में पिछले 12 दिन का औसत देखा जाय तो यहां रोज करीब 83 मरीज मिल रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के मेडिकल बुलेटिन के 75 नए कोरोना पॉजिटिव मरीज सामने आए, जिसके बाद ये आंकड़ा 3008 पर पहुंच गया है. पिछले 24 घंटे में 713 सैंपल की जांच की गई, जिसमें से 624 निगेटिव आए और 75 पॉजिटिव निकले. जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ प्रवीण जड़िया (Dr. Praveen Jadiya) ने बताया कि अब तक जिले में 29064 सैंपल की जांच की गई है, जिसमें आज तक जिले में 3008 कोरोना पॉजिटिव मरीज पाए गए हैं.
1482 मरीजों का अभी भी शहर के विभिन्न अस्पतालों में इलाज चल रहा है. पूर्व में कोरोना पॉजिटिव होने के बाद स्वस्थ हुए 31 मरीजों को शनिवार को विभिन्न अस्पतालों से छुट्टी दी गई. अब तक जिले में कोरोना से 1412 मरीज स्वस्थ होकर अपने घरों को लौट चुके हैं. इंदौर जिले में बनाए गए विभिन्न क्वारंटाइन सेंटरों से भी अब तक 2660 लोगों को डिस्चार्ज किया जा चुका है. मेडिकल बुलेटिन में तीन लोगों की मौत की पुष्टि के बाद कोरोना से मरने वालों की संख्या 114 पर पहुंच गई है.
कोरोना मरीजों की संख्या के हिसाब से देखा जाए तो इंदौर देश का सातवां शहर बन गया है. यहां कोरोना के सबसे ज्यादा मरीज मिल रहे हैं. इंदौर जिले में अब तक 29064 लोगों के सैम्पल की जांच की गई है. जिसमें करीब 8 फीसदी की दर से पॉजिटिव मरीज सामने आए हैं. इंदौर में कोरोना के तीन हजार से ज्यादा मरीज हो गए हैं. सिर्फ 60 दिन में इतने मरीज मिलने से औसत 50 मरीज हर दिन का दिख रहा है. लेकिन मरीजों की संख्या 2 हजार से 3 हजार होने की रफ्तार इससे कहीं ज्यादा रही है और अब हर रोज करीब 83 मरीज मिल रहे हैं. हालांकि, शुरुआत में सैंपलिंग कम हो रही थी, इसलिए पॉजिटिव रेट 21 फीसदी से अधिक था. अब सैंपलिंग ज्यादा हो रही है, इसलिए पॉजिटिव रेट घटकर 8 फीसदी के आसपास आ गया है.