इंदिरा गांधी कृषि विवि में ग्रेजुएशन, पीजी और पीएचडी की नहीं होगी लिखित परीक्षा

रायपुर
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में ग्रेजुएशन, पीजी और पीएचडी की लिखित परीक्षा नहीं ली जाएगी. विश्वविद्यालय की विद्या परिषद द्वारा ये फैसला लिया गया है जिसमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और नई दिल्ली के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा जारी दिशा-निर्देशों को आधार माना है. यूनिवर्सिटी के निर्देश के मुताबिक चालू सत्र में विद्यार्थियों का मूल्यांकन शिक्षकों द्वारा सैद्धान्तिक और प्रायोगिक विषयों में किए गए आन्तरिक मूल्यांकन यानी इंटरनल असिसमेंट और पिछले सत्रों में छात्रों द्वारा किए गए प्रदर्शन के आधार पर करने का फैसला लिया गया है. हालांकि इस आधार पर टॉपर्स की सूची किस तरह तैयार होगी, विश्वविद्यालय में इसे लेकर अब भी संशय की स्थिति बनी हुई है.

आपको बता दें कि कोरोना संक्रमण की वजह से क्लासेस 20 मार्च 2020 से स्थगित हैं. इन परिस्थितियों में शैक्षणिक सत्र 2019-20 के द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षाओं के आयोजन के संबंध में विश्वविद्यालय के विद्या परिषद की आकस्मिक बैठक दिनांक 21 मई 2020 को आयोजित की गई और फिर ये फैसला लिया गया है.

इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के जनसम्पर्क अधिकारी संजय नैय्यर ने बताया कि मुख्य रूप से छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर ही मार्क्स दिए जाएंगे. नैय्यर ने न्यूज़ 18 को बताया कि इस सत्र की शुरूआत से लेकर 16 मार्च 2020 तक की अवधि में संचालित कक्षाओं के दौरान हुए मिडटर्म, क्विज, अवरली टेस्ट और प्रैक्टिकल प्रमुख आधार होंगे. इसके साथ ही छात्र-छात्राओं के पूर्व शैक्षणिक प्रदर्शन को भी मूल्यांकन में शामिल किया जाएगा. साथ ही छात्रों की अंटेंडेंस भी देखी जाएगी और इस मूल्यांकन के बाद छात्रों को अगली कक्षा में प्रमोट किया जाएगा. अगर कोई छात्र परीक्षा में फेल हो जाता है तो उन्हें आगामी सत्र में उस विषय की परीक्षा में शामिल होकर पास होना होगा.

संजय नैय्यर ने बताया कि इसके अलावा अगर छात्र इस मूल्यांकन पद्धति से मिले ग्रेड से असंतुष्ट रहते हैं तो उन्हें आगामी सत्र में उस विषय की परीक्षा में बैठकर ग्रेड सुधारने की पात्रता भी दी जाएगी. उन्होंने बताया कि आंतरिक मूल्यांकन पद्धति में विद्यार्थी को पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना की पात्रता नहीं होगी. हालांकि टॉपर्स का निर्धारिण कैसे किया जाएगा इस पर अब भी विश्वविद्यालय प्रबंधन विचार कर रहा है.
लेकिन ये मूल्यांकन पद्धति सभी पाठ्यक्रमों में केवल वर्तमान सत्र के लिए ही प्रभावी होगी. बाकी परीक्षा संबंधी नियम पहले जैसे ही रहेंगे.

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