आसान नहीं होगी शिवसेना की राह, कांग्रेस सत्ता में चाहती है बराबरी का हक

 
मुंबई 

मंगलवार का दिन महाराष्ट्र में बहुत ही गहमागहमी भरा रहा. महाराष्ट्र में सरकार गठन पर फंसा पेच जब नहीं सुलझा तो आखिरकार राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया. महाराष्ट्र में अगले 6 महीने के लिए राष्ट्रपति शासन लागू हो चुका है. लेकिन इस बीच शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस ने हार नहीं मानी है. आज कांग्रेस नेताओं का एक दल एनसीपी प्रमुख शरद पवार से सरकार गठन को लेकर बातचीत करने पहुंचा था. एक दौर की चर्चा के बाद एनसीपी और कांग्रेस ने संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर अपना रुख स्पष्ट किया और कहा कि पहले हम आपस में बात करेंगे उसके बाद ही शिवसेना से बात होगी.

बराबरी का हक चाहती है कांग्रेस
कांग्रेस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक कांग्रेस ने महाराष्ट्र में सरकार में शामिल होने पर अपनी कुछ शर्तें रखी हैं. कांग्रेस चाहती है कि अगर वह सरकार में शामिल होती है तो उसे सम्माजनक और लगभग बराबरी की हिस्सेदारी मिले और कैबिनेट का बंटवारा भी तीनों दलों में समान रूप से हो. यही वजह है कि सोनिया गांधी के मुख्य संकटमोचक अहमद पटेल मुंबई पहुंचे थे. उन्हें जिम्मेदारी दी गई है कि अगर शिवसेना के साथ गठबंधन की बात फाइनल होती है तो कांग्रेस की स्थिति बेहतर हो.

कैबिनेट में समान हिस्सेदारी का फॉर्मूला
कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस चाहती है कि सरकार में तीनों दलों की बराबर हिस्सेदारी के साथ हर एक दल की एक तिहाई नुमाइंदगी हो. इसका मतलब है कि सरकार में 42 कैबिनेट मंत्री रखे जाएं और उन्हें तीन भागों में बांट दिया जाए. यानी एनसीपी, शिवसेना और कांग्रेस हर पार्टी के खाते 14-14 कैबिनेट मंत्री सरकार में शामिल हों.

इसके साथ ही कांग्रेस की तरफ से इस बात का भी दबाव है कि कैबिनेट के गृह और राजस्व जैसे महत्वपूर्ण विभाग ईमानदारी के साथ तीनों दलों के बीच बांटे जाएं. भले ही कांग्रेस के पास सबसे कम विधायक हों लेकिन गठबंधन की सरकार में वह उस हिसाब से अपनी हिस्सेदारी नहीं चाहती है.

दो उपमुख्यमंत्री की भी होगी शर्त
गठबंधन सरकार में ऐसी संभावना मानी जा रही है कि मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के पास रहेगा ऐसी स्थिति में कांग्रेस चाहती है कि राज्य में दो उपमुख्यमंत्रियों की नियुक्ति हो जिसमें से एक उसकी पार्टी से हो. बातचीत के दौर से ऐसा साफ महसूस हो रहा है कि दोनों ही पक्ष ने अपने अतीत को देखते हुए बहुत सावधानी से आगे बढ़ रहे हैं.

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