आर्मी चीफ पहुंचे लेह, अस्पताल में घायल जवानों से की मुलाकात 

नई दिल्ली
भारतीय सेना प्रमुख मनोज मुकुंद नरवने जमीनी हालात का जायजा के लिए लेह पहुंचे हुए हैं। जहां, उन्होंने चीन के साथ झड़प में घायल जवानों से अस्पताल में मुलाकात की और उनका हाल चाल जाना। जनरल नरवने का यह दौरा ऐसे समय में है, जब पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन के साथ अत्यधिक तनाव बना हुआ है, और वहां एक सप्ताह पहले चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के साथ हिंसक संघर्ष के बाद वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से कुछ मीटर की दूरी पर हजारों की संख्या में भारतीय सैनिक तैनात हैं। सेना प्रमुख बल की तैयारी के साथ ही चीन के साथ एलएसी पर और पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर तैनातियों की समीक्षा करेंगे। दोनों देशों के कॉर्प्स कमांडरों ने सीमा के मुद्दे को सुलझाने और पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने के लिए मोलदो में सोमवार (22 जून) को बैठक की। तनाव कम करने के लिए छह जून हो हुई बैठक के बाद अपने तरह की यह दूसरी बैठक हुई।

14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और साउथ शिनजियांग मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के चीफ मेजर जनरल लियु लिन उसी लाइन पर बातचीत कर रहे हैं, जिस पर दोनों ने पूर्वी लद्दाख के चुशुल-मोलदो बॉर्डर पर्सनल मीटिंग (बीपीटी) पॉइंट पर बातचीत की थी। लद्दाख में जमीनी हालात तनावपूर्ण हैं, और गलवान घाटी के पेट्रोलिंग पॉइंट 14 के बाद पैंगोंग त्सो एक दूसरा फ्लैशपॉइंट हो सकता है। पेट्रोलिंग पॉइंट 14 पर ही 15 जून की रात चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर एक बर्बर हमला किया था। पैंगोंग त्सो में पीएलए ने वास्तविक नियंत्रण रेखा को एकतरफा बदलने की कोशिश की है। पैंगोंग झील के आसपास (एक बिंदु जो भारत के नियंत्रण में रहा है) चीनी सैनिकों की भारी उपस्थिति और लंबे समय से वहां उनका जमावड़ा भारत और चीन के बीच एलएसी पर जारी गतिरोध के संभावित समाधान की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है। चीन ने फिंगर 4 और फिंगर 8 के बीच कई हिस्सों में रक्षा ढांचे खड़े कर लिए हैं, जो अतीत में ग्रे जोन रहा है। पैंगोंग झील में चीनी कार्रवाई को यथास्थिति बदलने के एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। भारतीय सेना ने भी हॉट स्प्रिंग्स डेमचोक, कोयुल, फुकचे, डेपसैंग, मुरगो और गलवान में तैनाती बढ़ा दी है। 15 जून के हिंसक संघर्ष, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे और चीनी सैनिक भी मारे गए थे, के बाद से स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया है और गलवान घाटी तथा पैंगोंग त्सो इलाकों में तनाव बना हुआ है। बढ़ रहे तनाव के बीच, चीन की आक्रामकता जारी रहने की स्थिति में भारत जवाब के रूप में सभी सैन्य विकल्पों पर विचार कर रहा है। भारत ने लद्दाख में वास्तविक नियंण रेखा के 826 किलोमीटर के दायरे में अपनी तरफ तैयारियों को भी बढ़ा दिया है।
 

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