आर्मी चीफ ने कहा, ‘लोगों को गलत रास्ते पर ले जाना सही नेतृत्व नहीं होता’

नई दिल्ली
देश में जारी विरोध-प्रदर्शनों को लेकर इन दिनों राजनीतिक गलियारे में जमकर शोर-शराबा हो रहा है। आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने विश्वविद्यालयों के प्रदर्शन पर सवाल उठाए। दिल्ली में एक कार्यक्रम में उन्होंने मुश्किल परिस्थितियों में डटे सेना के जवानों की सराहना की। उन्होंने कहा कि लोग दिल्ली की ठंड से खुद को बचाने में जुटे हैं जबकि सियाचिन में मेरे जवान -10 से -45 डिग्री में सरहद की रक्षा कर रहे हैं।

एनआरसी और सीएबी को लेकर जारी विरोध और देश के कई विश्वविद्यालयों में प्रदर्शन पर भी आर्मी चीफ ने सख्त प्रतिक्रिया दी। उन्होंने किसी यूनिवर्सिटी का नाम लिए बिना कहा, 'नेतृत्व क्षमता वह नहीं है जो लोगों को गलत दिशा में लेकर जाती हो। आज हम सब बड़ी संख्या में यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्रों की अगुआई में कई शहरों में भीड़ और लोगों को हिंसक प्रदर्शन करते देख रहे हैं। यह नेतृत्व क्षमता नहीं है।'

सियाचिन में डटे जवानों को आर्मी चीफ ने किया याद
सियाचिन की मुश्किल परिस्थितियों में जुटे भारतीय सेना के जवानों की तारीफ करते हुए आर्मी चीफ ने कहा, 'आज के दिन जब हम सब दिल्ली में ठंड से खुद को बचाने में जुटे हैं, मैं अपने जवानों की ओर सबका ध्यान खींचना चाहता हूं। सियाचिन और दूसरी ऊंची चोटियों पर तैनात मेरे जवान जहां तापमान भी -10 से -45 डिग्री तक है डटे हुए हैं।'

लीडरशिप को बताया मुश्किल काम
आर्मी चीफ ने नेतृत्व पर बोलते हुए कहा कि यह आसान काम नहीं बल्कि बहुत मुश्किल काम है। सेना प्रमुख बिपिन रावत ने कहा, 'लीडरशिप एक मुश्किल काम है क्योंकि जब आप आगे बढ़ते हैं तो बड़ी संख्या में लोग आपको फॉलो करते हैं। यह दिखने में सामान्य लगता है, लेकिन यह बहुत-बहुत मुश्किल काम है क्योंकि आपके पीछे एक बहुत बड़ी भीड़ है।'

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