आर्थिक सर्वेक्षण में हुआ खुलासा, दूसरे प्रदेशों की तुलना में प्रदेश के लोगों की स्थिति बदतर

भोपाल
 मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया गया। आर्थिक सर्वेक्षण 2018-19 में प्रदेश को हर क्षेत्र में देश के दूसरे प्रदेशों की तुलना में काफी पिछड़ा बताया गया है। सर्वेक्षण के अनुसार शिक्षा और पोषण के क्षेत्र मे भी राज्य की स्थिति बेहतर नहीं है|  आर्थिक सर्वेक्षण बजट के एक दिन पहले पेश किया जाता है। बुधवार को वित्तमंत्री सरकार का बजट पेश करेंगे|  कांग्रेस मीडिया विभाग की अध्यक्ष शोभा ओझा ने इसको लेकर पूर्व की भाजपा सरकार पर हमला बोला है, उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह चौहान कहते थे उन्होंने मप्र को समृद्ध मप्र बनाया, लेकिन उन्होंने कभी नही बताया कि सम्रद्ध मध्य प्रदेश का टैग किसने दिया| मध्य प्रदेश पिछड़े प्रदेशों में गिना जा रहा है| संसाधनों की संगठित लूट की गई है|

इस सर्वेक्षण् के अनुसार मध्य प्रदेश में गरीबी बढ़ी है। आर्थिक सर्वेक्षण में गरीबी का स्तर 29 राज्यों में 27 वें नम्बर पर पहुंच गया है। जबकि आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार राज्य में प्रतिव्यक्ति आय 82941 रुपए से बढ़कर 90998 हो गई है। सर्वेक्षण में बताया गया है कि राज्य की सामाजिक आर्थिक विकास की समीक्षा करने पर स्थिति स्पष्ट है कि प्रदेश मानव विकास के मानकों पर देश एवं समान परिस्थितियों वाले राज्यों की तुलना में पिछड़ रहा है। गरीबी उन्मूलन आकड़े और स्वास्थ्य सूचकांकों को राष्ट्रीय स्तर के समकक्ष लाना एक प्रमुख चुनौती है। सर्वेक्षण के अनुसार शिक्षा और पोषण के क्षेत्र मे भी राज्य की स्थिति बेहतर नहीं है।

प्रति व्यक्ति आय में पिछड़ा मप्र

सर्वेक्षण के अनुसार मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय देश एवं समान परिस्थिति वाले राज्यों की तुलना में कम है। देश के प्रमुख राज्यों में बिहार, झारखंड, ओड़सिा और उत्तरप्रदेश को छोडक़र शेष राज्यों की प्रति व्यक्ति आय मध्यप्रदेश से अधिक है। मध्यप्रदेश को कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों की श्रेणी में रखा जाता है। वित्त वर्ष 2018 19 के प्रचलित मूल्य पर प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय 90 हजार नौ सौ 98 रूपए थी, जो देश की प्रति व्यक्ति आय एक लाख 26 हजार छह सौ 99 रूपयों का मात्र 71़ 8 प्रतिशत है।

सर्वाधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे

सर्वेक्षण के मुताबिक देश में गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाले व्यक्तियों का अनुपात 21़ 92 प्रतिशत और मध्यप्रदेश में 31़ 65 प्रतिशत है। देश में उत्तरप्रदेश और बिहार राज्यों को छोडक़र मध्यप्रदेश में सर्वाधिक लोग गरीबी रेखा के नीचे है, जिनकी संख्या दो करोड़ 34 लाख है। वहीं इसमें कहा गया है कि केवल 30 प्रतिशत लोग खाना बनाने के लिए स्वच्छ ईंधन का इस्तेमाल करते हैं। राज्य में सिर्फ 23 प्रतिशत घरों में नल द्वारा पानी आता है। राष्ट्रीय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट वर्क 2018 19 के अनुसार मध्यप्रदेश में कृषि मजदूरी की दर 210 रूपए देश के अन्य राज्यों की तुलना में न्यूनतम है। मनरेगा में 68़ 25 लाख परिवार दर्ज हैं, जो व्यापक गरीबी का सूचक है।

शिशु मृत्यु दर

शिशु मृत्यु दर में भी मध्य प्रदेश की स्तिथि चिंताजनक है, सर्वेक्षण में बताया गया कि राज्य में प्रति हजार जीवित जन्म पर शिशु मृत्यु दर 47 है, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सर्वाधिक है। राष्ट्रीय स्तर पर शिशु मृत्यु दर 33 प्रति हजार है। राज्य में मातृत्व मृत्यु दर प्रति एक लाख प्रसव पर 173 है, जो राष्ट्रीय दर 130 और अधिकतर राज्यों की तुलना में बहुत अधिक है। राज्य में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर 77 (वर्ष 2011) है, जो कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में असम को छोडक़र सर्वाधिक है। प्रदेश में 52़ 4 प्रतिशत महिलाएं खून की कमी से पीड़ित हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों, नर्सों और अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों के पद बड़ी संख्या में रिक्त हैं। सर्वेक्षण के अनुसार शिक्षा और पोषण के क्षेत्र मे भी राज्य की स्थिति बेहतर नहीं है।

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