आर्थिक रूप से कमजोर के लिए आरक्षण में उम्र में छूट नहीं, कट ऑफ अंकों में मिलेगी छूट

नई दिल्ली 
आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के स्टूडेंटों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण की सुविधा तो मिलेगी लेकिन इसके लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं में बैठने के लिए उम्र में छूट नहीं मिलेगी। इस कानून के लागू होने के बाद निकली पहली सरकारी नियुक्ति के लिए परीक्षा फॉर्म में लिखे नियम और शर्तों से यह बात सामने आई है। स्टाफ सिलेक्शन कमिशन की ओर से 2 फरवरी को जूनियर इंजिनियर के 5000 पदों के लिए होने वाली परीक्षा में पहली बार इस आरक्षण को लागू किया गया है, जिसमें इस बात का जिक्र है कि उम्र छूट का लाभ आरक्षण की नई कैटिगरी में नहीं है। इसके अनुसार एससी-एसटी को ऊपरी आयु में 5 सालों की छूट और ओबीसी को 3 साल उम्र की छूट मिली है। दिव्यांग को उम्र में 10 साल की छूट मिलती है। सामान्य श्रेणी के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण का लाभ कट ऑफ मार्क्स में जरूर मिला है। जूनियर इंजिनियर के लिए आयोजित इस परीक्षा में जहां जनरल कैटिगरी के लिए न्यूनतम कट ऑफ अंक 30 फीसदी रखा हुआ है, वहीं ओबीसी और आर्थिक रूप से कमजोर स्टूडेंट के लिए 25 फीसदी जबकि एससी और एसटी स्टूडेंट के लिए कट ऑफ 20 फीसदी रखा गया है। 

सूत्रों के अनुसार आर्थिक रूप से कमजोर को 10 फीसदी आरक्षण का यही फॉर्मेट दूसरी परीक्षाओं में भी लागू होगा। मालूम हो कि 10 जनवरी को संसद से आर्थिक रूप से कमजोर को आरक्षण देने का संविधान संशोधन बिल पास हुआ था और मोदी सरकार ने 19 जनवरी को आदेश जारी कर 1 फरवरी के बाद होने वाली सभी परीक्षाओं और शिक्षण संस्थानों में दाखिले में इसे लागू करने का गाइडलाइंस जारी कर दिया था। 10 फीसदी आरक्षण देने का कानून लागू होने के बाद आम चुनाव तक एसएससी और यूपीएससी की ओर से लगभग 20 हजार पदों के लिए परीक्षा फॉर्म भरे जाने हैं। इन सभी भर्तियों में आरक्षण का नया सिस्टम लागू होगा। हालांकि, इस साल मेडिकल और इंजिनियरिंग में प्रवेश परीक्षा के फॉर्म भरे जा चुके हैं। आईआईटी में नए सिस्टम के तहत कम से कम 1200 सीट बढ़ानी है। साथ ही मेडिकल कालेजों में सीट बढ़ाने के लिए जरूरी संसाधन बढ़ाने होंगे। मोदी सरकार का आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को आरक्षण देने का दांव एससी-एसटी ऐक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने वाले कानून बनाने के बाद सवर्णों में आई नाराजगी को काउंटर करने और सवर्णों को मनाने की दिशा में एक बड़ी कोशिश मानी गई थी। 

दूसरी तरफ, रोस्टर मुद्दे पर जारी सियासी विवाद के बीच पीएमओ ने हस्तक्षेप करते हुए एचआरडी मिनिस्ट्री से रिपोर्ट मांगी है और विवाद समाप्त होने तक नई नियुक्ति नहीं हो, इसे सभी विश्वविद्यालयों में सुनिश्चित करने को कहा है। सूत्रों के अनुसार सरकार को लगता है कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार की याचिका पर सुनवाई हो सकती है, जिसके बाद ही आगे कोई फैसला लिया जाएगा। विपक्ष जहां सरकार से तुरंत अध्यादेश या बिल लाने की मांग कर रहा है, वहीं बीजेपी हर पहलू को ध्यान में रखकर आगे के कदम उठाने पर विचार कर रही है। मालूम हो कि इस मुद्दे पर खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में राजनीति गरम है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *