आर्टिकल 370 में बदलाव के पांच महीने बाद नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी की बैठक
श्रीनगर
जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को खत्म किए जाने के बाद से राज्य में राजनीतिक गतिविधियां बंद थी। नैशनल कॉन्फ्रेंस और पीपल्स डेमोक्रैटिक पार्टी समेत अन्य दलों के बड़े नेताओं को नजरबंद रखा गया है। लेकिन राज्य में राजनीतिक गतिविधियां एक बार फिर शुरू होती नजर आ रही हैं। फारूक अब्दुल्ला की नैशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और महबूबा मुफ्ती की पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने आर्टिकल 370 और 35A को रद्द किए जाने के बाद सोमवार को पहली बार श्रीनगर में अपने संबंधित पार्टी कार्यालयों में बैठकें कीं है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, दोनों पार्टी के बड़े नेताओं ने पार्टी के मिड-लेवल के पदाधिकारियों को निर्देश दिया था। निर्देश मिलने के बाद राज्य में सामान्य राजनीतिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने के लिए बैठकें बुलाई गई थीं। आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि नैशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला को अपने सहयोगियों, पार्टी उपाध्यक्ष और बेटे उमर अब्दुल्ला व अन्य लोगों से बात करने के लिए मोबाइल फोन दिया गया है। वहीं पीडीपी की नेता महबूबा मुफ़्ती को लैंडलाइन फोन की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।
नैशनल कॉन्फ्रेंस के प्रांतीय सचिव शौकत मीर ने बताया कि प्रोविंशियल बैठकें महीने में एक बार आयोजित की जाती थीं, लेकिन 5 अगस्त के बाद पार्टी की सभी गतिविधियां अचानक बंद हो गई थीं। प्रोविंशियल प्रेसिडेंट नासिर वानी भी हिरासत में लिए गए लोगों शामिल थे। मीर ने कहा कि सोमवार की बैठक में 100 से अधिक पदाधिकारियों ने भाग लिया।
बैठक के बाद में जारी एक बयान में नैशनल कॉन्फ्रेंस ने पार्टी के अध्यक्ष और श्रीनगर से लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला को लंबे समय तक नजरबंद किए जाने को 'असंवैधानिक’ बताया है। वहीं, पीडीपी के स्टेट सेक्रटरी अब्दुल रहीम कोशीन ने कहा, 'पार्टी उम्मीद कर रही थी कि महबूबा पांच महीने बाद हो रही इस बैठक में भाग लेने में सक्षम होंगी।’ उन्होंने कहा, 'पार्टी का सीनियर नेताओं को ही कोई फैसला लेने का हक है, लेकिन सभी नजरबंद है। हमने महबूबा मुफ्ती के साथ बैठक करने की अनुमति मांगी थी, लेकिन दुर्भाग्य से हमें अनुमति नहीं दी गई।'