आर्टिकल 370: ट्रेन-बस सेवा बंद, अपनों को तरस रहे परिवार

 नागपुर 
राजा अब्दुल वहाब खान के पास सिर्फ एक स्मार्टफोन का सहारा है। पाकिस्तान में बैठे अपने भाई अब्दुल सत्तार से वह सिर्फ इसके जरिए ही जुड़े हैं। उन्हें यह नहीं पता कि वह अपने भाई से कब मिलेंगे या कभी मिलेंगे भी या नहीं। पाकिस्तान के समझौता एक्सप्रेस और बस सेवा रोकने के बाद वह उनके जैसे कई लोग परेशान हैं। 

पहले जंग ने रोका रास्ता 
अब्दुल सत्तार, 6 भाई-बहन और उनकी मां 1962 में पाकिस्तान के अपने पैतृक गांव दिसाला गए थे। दो भाई और उनके पिता भारत में ही थे। तीन साल बाद भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 के बीच जंग हो गई और सीमाएं सील कर दी गईं। 1979 में आवागन पर लगीं पाबंदियां खत्म कर दी गईं लेकिन तब तक अब्दुल के पिता के देहांत हो चुका था। उनकी पत्नी और बच्चों को दो महीने बाद ही इसकी जानकारी यूके के रास्ते एक खत से मिल सकी। 

आर्टिकल 370 हटने का असर 
हाल ही में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने से बौखलाए पाक ने समझौता एक्सप्रेस और बस सेवा बंद करने से खान जैसे कई परिवार परेशान हैं। 80 साल की जैतुनबी अब भी पाश्तो में बात करती हैं। उनके भाई पाकिस्तान में रहते हैं। वह अपने भाई से बचपन में मिली थीं। बंटवारे के बाद उनके भाई भारत नहीं आ सके और जैतुनबी यहीं रह गईं। 

इसी तरह रेहिम खानम की बहन नूर खानम भी पाकिस्तान में रहती हैं। रेहिम की अपनी बहन से मुलाकात 2-3 बार ही हो सकी। रेहिम के बेटे का कहना है कि वह मां को बहन से मिलने भेजने वाले थे लेकिन ट्रेनें नहीं चलने के कारण ऐसा नहीं हो सका। 
 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *