आरबीआई से फंड ट्रांसफर पर कांग्रेस का दावा- देश को दिवालियेपन की तरफ धकेल रही है मोदी सरकार

नई दिल्ली
कांग्रेस पार्टी आरबीआई से सरकार को मिल रहे 1.76 लाख करोड़ रुपये का हवाला देकर देश की अर्थव्यवस्था के खस्ताहाल होने का दावा कर रही है। यूपीए सरकार में वाणिज्य मंत्री रहे पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर देश की आर्थिक स्थिति पर कई तरह की आशंकाएं प्रकट कीं और कहा कि सरकार देश को दिवालियेपन की तरफ धकेल रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री लगातार नकारने के अंदाज में नहीं रह सकते हैं। उन्होंने सरकार से तुरंत श्वेत पत्र लाकर वास्तविक स्थिति बताने की मांग की।

भयावह है आर्थिक स्थिति: कांग्रेस
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने आते ही ऐसी बदइंतजामी की कि अर्थव्यवस्था चारों खाने चित हो गई है। उन्होंने बिमल जालान समिति की सिफारिश पर भी सवाल उठाया और कहा कि इससे पहले बनी किसी भी समिति ने आरबीआई के लिए कंटिंजंसी रिजर्व बफर (सीआरबी) 8% से नीचे लाने पर विचार तक नहीं किया था। एक बार में पूरा का पूरा सरप्लस सरकार को ट्रांसफर करने का फैसला किया गया, यह भयावह आर्थिक स्थिति का सबूत है।

डेंजर जोन में आ गया है रिजर्व बैंक का बफर: शर्मा
आनंद शर्मा ने कहा, 'तमाम कमिटियां जो बनी हैं, उनकी सिफारिश में स्पष्ट कहा गया था कि 8% से कम सीआरबी नहीं होना चाहिए। अब सेंट्रल बैंक के लिए सीआरबी 5.5% पर ला दिया गया है जो इसका खतरनाक स्तर है।' शर्मा ने कहा, 'कल अगर वैश्विक मंदी आई तो रिजर्व बैंक के पास कोई चारा नहीं बचेगा कि वह भारतीय अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आगे बढ़ सके।'

'मोदी सरकार की बदइंतजामी का नतीजा'
उन्होंने कहा कि दुनिया में किसी भी सेंट्रल बैंक के कंटिंजंसी रिजर्व से वहां की सरकार को पैसे तभी ट्रांसफर किए जाते हैं जब हालात बिल्कुल बिगड़ जाएं। भारत सरकार ने रिजर्व बैंक से पैसा लिया, इसका मतलब है कि यहां स्थिति सामान्य नहीं है। उन्होंने अर्जेंटीना का हवाला देकर कहा, 'अर्जेंटीना ने सरप्लस सरकार को दिया और वहां की इकॉनमी तबाह हो गई। हमारे देश में जो हालात बने हैं, वह रातोंरात नहीं बने। यह बदइंतजामी के कारण बने हैं। मोदी सरकार के आने के बाद से ही बदमइंतजामी हो रही है।'

विशेषज्ञों की बात नहीं मानती है मोदी सरकार: शर्मा
कांग्रेस नेता ने कहा कि कई विशेषज्ञों ने सरकार की मंशा का विरोध किया था। उन्होंने कहा, 'पूर्व आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन और उर्जित पटेल ने इसका विरोध किया, पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने भी इसी कमिटी में अपना (डिसेंट) विरोध दर्ज करवाया था। अब उनका तबादला कर दिया गया है और उन्होंने वीआरएस की मांग की है। वहीं, पुराने रिजर्व बैंक गवर्नर डॉ. सुब्बाराव और डॉ. रेड्डी ने विरोध किया। डेप्युटी गवर्नर विरल आचार्य ने तो इसे विनाशकारी बताया।'

 

मंदी से भी बड़ा संकट: आनंद शर्मा
आनंद शर्मा ने दावा किया कि देश की अर्थव्यवस्था मंदी या सुस्ती नहीं, बल्कि इससे भी कठिन संकट से गुजर रही है। उन्होंने कहा, 'जीडीपी ग्रोथ रेट लगातार घट रही है। औद्योगिक उत्पादन गिर गया है। रुपया कमजोर पड़ रहा है और एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करंसी बन गया है। वास्तविक बेरोजगारी दर 20 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई है। ऑटो सेक्टर मुश्किल में है और एनबीएफसी पर संकट है। कृषि क्षेत्र की समस्या जगजाहिर है। इस तरह भारतीय अर्थव्यवस्था के सारे मानक लगातार कमजोर पड़ रहे हैं।'

श्वेत पत्र जारी करे सरकार: कांग्रेस
शर्मा ने श्वेत पत्र जारी करने की मांग करते हुए कहा, 'हमारी मांग है कि सरकार तुरंत श्वेत पत्र जारी करे। हम रिसर्च इंस्टिट्यूट को एक रिपोर्ट प्रकाशित करने की भी मांग करते हैं। इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे सभी क्षेत्रों के प्रॉजेक्ट्स, सरकारी निवेश, उद्योगों में बिजली की खपत, निर्यात की स्थिति और फैक्ट्रियों में हो रहे उत्पादन की स्थिति से अवगत कराया जाए।'

बजट और आर्थिक सर्वेक्षण में भी अंतर: शर्मा
कांग्रेस नेता ने कहा कि बजट में रेवेन्यू रिवाइज्ड एस्टिमेट्स 9.2 प्रतिशत जबकि इकनॉमिक सर्वे में यह 8.2 प्रतिशत तक बताया गया है। उन्होंने कहा, 'बजट में 17.3 लाख करोड़ रुपये का जिक्र है जबकि इकनॉमिक सर्वे इसे 15.6 लाख करोड़ रुपये बताता है। यानी, 1.7 लाख करोड़ रुपये का अंतर है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि सरकार इतनी ही रकम आरबीआई से ले रही है। शर्मा ने कहा पिछले साल के बजट के मुताबिक जो खर्चा करना था, वह नहीं किया। सब्सिडी बंद कर दिया।' उन्होंने कहा, '2018-19 में जो खर्च करना था, उसमें उन्होंने 1.5 लाख करोड़ रुपया काटा।'

सिंघवी और राहुल भी जता चुके हैं चिंता
गौरतलब है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी इस मुद्दे पर सरकार पर निशाना साध चुके हैं। उनसे पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने देश की आर्थिक स्थिति की गंभीरता पर तमाम तरह की आशंकाएं व्यक्त की थीं।

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