आयुष्मान योजना के बहाने लिए दस्तावेज, फिर Facebook पेज बना कर करने लगे ये गोरखधंधा

जबलपुर
साइबर सेल (Cyber ​​Cell) की टीम ने एक गिरोह का पर्दाफाश करते हुए इसके 5 सदस्यों को गिरफ्तार किया है, जिनमें नामी टेलीकॉम कंपनियों (Telecom Companies) के कर्मचारी भी शामिल हैं. गिरोह के सदस्य पहले ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आयुष्मान योजना (Ayushman Yojana) का लाभ दिलाने के नाम पर उनके आईडी प्रूफ ( ID Proof) ले लिया करते थे और फिर उनके जरिए फर्जी सिम निकाल ली जाती थीं. इसके बाद ऐसी फर्जी सिमों को पेटीएम (Paytm) और एयरटेल मनी वॉलेट (Airtel Money Wallet) में रजिस्टर कर लिया जाता था और इसे देशभर में ठगी की वारदातों के लिए बेच दिया जाता था. आरोपियों ने फर्जी सिमों की बिक्री के लिए बाकायदा फेसबुक पेज भी बना रखा था, जिसके जरिए वो काफी संख्‍या में फर्जी सिम देश की राजधानी दिल्ली के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में बेच देते थे. इस गिरोह द्वारा अब तक 10 हजार से भी ज्यादा प्री एक्टिवेटिड और वॉलेट्स में रजिस्टर्ड सिमों के बेचने का खुलासा हुआ है.

साइबर सेल की टीम ने इस फर्जीवाड़े में जबलपुर के निशांत पटेल, अशफाक अहमद, अमित सोनी, रितेश कनौजिया और इंदौर के रोहित बजाज नाम के आरोपियों को गिरफ्तार किया है. इनमें रितेश कनौजिया आइडिया-वोडाफोन कंपनी का टेरेटरी सेल्स मैनेजर है, तो रोहित बजाज कंपनी का पूर्व टेरेटरी मैनेजर है. इस फर्जीवाड़े का खुलासा तब हुआ जब दो आवेदकों ने स्टेट साइबर सेल में, अपने फेसबुक अकाउंट के हैक होने और उनके परिचितों से रुपयों की मांग किए जाने की शिकायत की थी. जांच में पता चला कि जिस सिम से फेसबुक अकाउंट हैक किए गए वो इमरान उल हक के नाम से रजिस्टर थीं, लेकिन इमरान को इसकी जानकारी ही नहीं थी. जांच में पता चला कि इमरान के फर्जी दस्तावेज लगाकर उसके दोस्त असफाक ने फर्जी सिम हासिल कर ली थी. साइबर सेल ने जब अशफाक से सख्ती से पूछताछ की तो उसकी निशानदेही पर फर्जी सिमों का गोरखधंधा करने वाले पूरे गिरोह का पर्दाफाश हो गया.

फिलहाल साइबर सेल ने आरोपियों से 35 फर्जी सिमें बरामद कर ली हैं. जबकि उनके द्वारा देशभर में 10 हजार से ज्यादा फर्जी सिमें बेचने के सुबूत मिल हैं. फर्जी सिमों का ये गोरखधंधा जब राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा है तो साइबर सेल ने मामले की जांच जारी रखी है.

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