आयुर्वेद के मुताबिक जानें, मॉनसून में नहाने का सही तरीका

लोगों की नजर में नहाना एकदम आसान काम है लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका सही तरीका भी हो सकता है? आप सुबह उठकर तब तक फ्रेश फील नहीं करते जब तक नहीं लेते वहीं पूरे दिन की भागदौड़ के बाद नहाना थकान दूर करने का बेस्ट तरीका है।

मेडिटेशन की तरह है नहाना
आयुर्वेद की माने तो नहाना किसी थेरपी से कम नहीं। भारतीय संस्कृति में नहाने को पवित्रता से जोड़ा गया है। वहीं प्राचीन आयुर्वेद के लेख देखे जाएं तो नहाना मेडिटेशन जैसी प्रक्रिया है जिसको चंदन की लकड़ी-दूध, लाल चंदन और दूध, जैसमिन और आंवला वगैरह के साथ बेहतरीन बनाया जा सकता है।

नहाना करें एंजॉय
आयुर्वेद के मुताबिक, नहाना शरीर, दिमाग और आत्मा में बैलेंस बनाने का तरीका है इसलिए ध्यान रखें कि जल्दबाजी में न नहाएं। रिलैक्स होकर इस बढ़िया प्रॉसेस का पूरा मजा लें।

जानें, क्या है नहाने का सही तरीका
पानी का तापमान सबसे पहले पैरों पर डालकर चेक करें। नाभि के नीचे के हिस्से के लिए ज्यादा तापमान और नाभि से कंधे तक मध्यम तापमान और चेहरे, सिर और हाथों के लिए सबसे कम तापमान का पानी इस्तेमाल करें। सिर के बजाय पहले पैर पर पानी डालकर नहाना शुरू करें।

उबटन का इस्तेमाल
मार्केट में तरह-तरह के एक्सफॉलिएटिंग प्रॉडक्ट्स मौजूद हैं लेकिन आयुर्वेद में यह काम उबटन करता है। नहाने से पहले रोजाना उबटन का इस्तेमाल करें।

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